एक बोर आदमी का रोजनामचा-कविता-आवारा फितरत को लगाम दे दूँ

Started by Atul Kaviraje, November 26, 2022, 09:40:23 PM

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Atul Kaviraje

                             "एक बोर आदमी का रोजनामचा"
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मित्रो,

     आज पढते है, "एक बोर आदमी का रोजनामचा" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविताका शीर्षक है- "आवारा फितरत को लगाम दे दूँ"

                            आवारा फितरत को लगाम दे दूँ--
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आवारा फितरत को लगाम दे दूँ
तुम्हारे जिम्मे ये काम दे दूं

बहुत उड़ चुका खलाओं में अब तक
जिस्म को थोडा आराम दे दूं

मै, फैसला कब तक  मुल्तवी  रक्ख्नूं
आ, आज इसे मुहब्बत नाम दे दूं,

बहुत तिश्न्नालब है मुसाफिर, कहो तो
तुम्हारे  लबों से एक जाम दे दूं

--एक बोर आदमी का रोजनामचा
(Friday, 28 October 2011)
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            (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-एक बोर आदमी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.11.2022-शनिवार.