निबंध-क्रमांक-90-पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, November 27, 2022, 09:05:03 PM

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Atul Kaviraje

                                      "निबंध"
                                     क्रमांक-90
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध "

                               पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध --
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          प्रदूषण के कारण Causes Of Pollution In Hindi –

     Pollution के व्यापक और सर्वोधिक कारण मानव निर्मित है। इंसान आधुनिकता की हौड़ में प्रकृति का अत्यधिक दोहन कर रहा है। इससे प्राकृतिक संसाधनों में कमी हो रही है। जो संसाधन बचे हुए है वो भी प्रदूषण के मारे प्रदूषित हो रहे है।

     प्रदूषण का मुख्य कारण कल कारखानों से निकलने वाला जहरीला धुंआ और रासायनिक पदार्थ है। यह धुंआ वायु में और रासायनिक पदार्थ पानी मे मिलने से दोनों प्रदूषित हो जाते है।

     शहरों में बढ़ते वाहन भी प्रदूषण का एक कारण है। अत्यधिक वाहनों से ट्रैफिक बढ़ता है और उनसे निकलने वाले जहरीले धुयें में बढ़ौतरी होती है जिससे वायु प्रदूषण होता है। वाहनों के अत्यधिक शौर से ध्वनि प्रदूषण भी होता है। लाउडस्पीकर और कारखानों के सायरन से भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

     वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से भी प्रदूषण में बढ़ौतरी हो रही है। घटते जंगलो से प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ा है। ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण में अत्यधिक वृद्धि का एक कारण वृक्षों की कटाई भी है।

     ज्वालामुखी, बाढ़, भूकम्प से भी वायु और जल प्रदूषण होता है। परमाणु विस्फोट परीक्षण से भी वायु प्रदूषण में बढ़ौतरी होती है। परमाणु परीक्षण से रेडियोएक्टिव प्रदार्थ हवा में मिल जाते है।

     बढ़ती आबादी भी बढ़ते प्रदूषण का एक कारण है। ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण के बढ़ने का कारण बढ़ती आबादी भी है।

     Pollution का व्यापक दुष्प्रभाव होता है। प्रदूषण से प्रकृति की हर चीज विकृत हो रही है।

     वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से प्राकृतिक अंसतुलन पैदा होता है। रेगिस्तान की भूमि में विस्तार और कम होती हरियाली प्रदूषण के प्रभाव है।

     प्रदूषण से कई प्रकार की महामारियां पैदा होती हैं जो इंसानों और जानवरों को बीमार कर देती है। मनुष्यों का गिरता स्वास्थ्य का जिम्मेदार भी प्रदूषण है। वायु प्रदूषण से सांस सबंधी बीमारिया फैलती है। ध्वनि प्रदूषण से बहरापन और तनाव बढ़ता है।

     जल प्रदूषण से नदियों और समुद्रों का पानी प्रदूषित हो जाता है। इससे जलीय जीव प्रभावित होते है। कई जलीय जीवों की प्रजाति इससे नष्ट हो चुकी है। इस दूषित पानी से नहाने से चर्म रोग होने की संभावना होती है। प्रदूषित पानी पीना भी कई बीमारियों को न्योता देता है।

     उपजाऊ भूमि में प्रदूषकों के मिलने से वह भूमि बंजर होती जाती है। मिट्टी में कीटनाशकों के छिड़काव से भी मृदा प्रदूषण होता है।

     प्रदूषण के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ओजोन परत में हुए छेद का कारण भी वायु प्रदूषण है। ग्लेशियर के पिघलने से जल स्तर में बढ़ौतरी हुई है।

--AUTHOR UNKNOWN
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी वार्ता.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.11.2022-रविवार.