निबंध-क्रमांक-95-पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, December 02, 2022, 08:57:32 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-95
                                    -----------

मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध"

                                पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध --
                               ------------------------

     प्रदूषण नियंत्रण के उपाय: पर्यावरण प्रदूषण (Environment Pollution) को रोकने के लिए शहरों में परिवहन की नीति में इस तरह परिवर्तन करने की ज़रूरत है कि ज़हरीली गैसें फैलानेवाली परिवहन तकनीक का उपयोग कम करें एवं ऐसी तकनीक को बढ़ाएँ जो वायु-प्रदूषण को कम करती है । पेट्रोलियम पदार्थों से चलनेवाले साधनों एवं सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों की दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए। विकास के नाम पर यदि ऐसी बस्तुएँ उत्पन्न हो रही हों जो ज़हरीली गैसों को बढ़ावा दे रही हों तो हमें ऐसे उपयोग पर भी नियंत्रण रखना है ।

     वनों के संरक्षण करने एवं वृक्ष लगाने के कार्य को तेजी से एवं प्रभावी ढंग से करने की आवश्यकता है। वन हमारे रक्षक हैं। इनसे भू-क्षरण, भू-स्खलन तथा बाढ़ रुकती हैं। अत: हरियाली बढ़ाने के लिए इनके सुनियोजित विकास पर ज़ोर देने की आवश्यकता है। फैक्ट्रियों और प्रयोगशालाओं के आसपास वृक्ष रोपे जाने चाहिए ताकि वायु और ध्वनि-प्रदूषण कम हो। हमारी नदियों एवं बाँधों के पानी को स्वच्छ रखने के लिए भी जन-जागरण की आवश्यकता है।

     रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग भी बहुत सावधानी से एवं सीमित मात्रा में करने की आवश्यकता है तथा जैविक कीटनाशकों के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। 'मेवाड़ पानी चेतना समिति' का पानी कार्य, मीनासर का 'गोचर आंदोलन', खेजड़ी गाँव (जोधपुर) में हर वर्ष लगनेवाला बिश्नोइयों का मेला, चमौली (उ.प्र.) का 'चिपको आंदोलन', नर्मदा और टिहरी जैसे बाँधों पर प्रतिबंध लगाने के आंदोलन का हमारे पर्यावरण को स्वच्छ एवं संतुलित बनाए रखने की प्रेरणा देने के उत्तम उदाहरण हैं। हमें इन आंदोलनों से सीख लेनी चाहिए। जोहांसबर्ग पृथ्वी सम्मेलन, क्योटो संधि कोपेनहेगन आदि इस दिशा में किए गए, उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय प्रयास हैं।

             पर्यावरण (Environment) के प्रति संवेदनशीलता का विकास:

     पर्यावरण (Environment) स्वच्छता का अर्थ है इस धरती पर सभी जीवधारियों का अस्तित्व और स्वास्थ्य। इसलिए सभी व्यक्तियों, राष्ट्रों को पर्यावरण के प्रति सही समझ विकसित करने की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना ही है। पर्यावरण हमारे जीवन की प्राथमिकता में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । विकसित देशों में ऊर्जा स्रोत के रूप में नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग पर नियंत्रण रखने का प्राथमिक सवाल है । ऊर्जा के गैर-पारम्परिक स्रोतों की खोज करके, विशेषकर ऐसे स्रोतों की खोज करके जो पर्यावरण प्रदूषण बहुत कम करते हैं, हम पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं।

     आवश्यकता इस बात की है कि सब लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए उसको क्षति पहुँचाना बंद करें । विकास, औद्योगीकरण तथा मानव स्वास्थ्य के बीच तालमेल बढ़ाएँ। औद्योगिक विकास के बारे में ढंग से सोचें । प्रकृति का दोहन बंद करें और समुचित दोहन के द्वारा प्रकृति और विकास का संतुलन बनाए रखें । भारत के आर्य ग्रंथों ने आज से हज़ारों वर्ष पूर्व कहा था प्रकृति हमारी माता है जो अपना सब- कुछ अपने बच्चों को अर्पण कर देती है ।' अतःआवश्यकता है हम हमारी प्रकृति माँ को सुरक्षित रखने के लिए कुछ इस प्रकार का काम करें कि वह भी स्वच्छ रहे और हम भी स्वस्थ-स्वच्छंद रहें।

--AUTHOR UNKNOWN
-------------------------

                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी वार्ता.कॉम)
                    --------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.12.2022-शुक्रवार.