साहित्यशिल्पी-सृष्टि की रचना का पर्व है गुड़ी पIड़वा –1-

Started by Atul Kaviraje, December 06, 2022, 09:04:55 PM

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Atul Kaviraje

                                      "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "सृष्टि की रचना का पर्व है गुड़ी पIड़वा [आलेख]" 

                      सृष्टि की रचना का पर्व है गुड़ी पIड़वा –1--
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18 मार्च हिंदू नववर्ष पर विशेष... सृष्टि की रचना का पर्व है गुड़ी पIड़वा - भारतीय पंचाग भी इसी दिन बना [आलेख]- डॉ. सूर्यकांत मिश्रा--
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     भारत वर्ष में जिस तरह विभिन्न धर्मों को मानने वाले निवास करते है, उसी तरह अपने अपने धर्म के अनुसार नये वर्ष का उत्सव मनाते आ रहे है। हिंदू धर्म को मानने वाले अपना नववर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाते है। यह वह महत्वपूर्ण दिन है जब हम मां जगत जननी के नवरात्रों का प्रारंभ भी करते है। इसे गुड़ी पडवा के रूप में जाना जाता है। इसी दिन को वर्ष प्रतिपदा अथवा उगादी भी कहा जाता है। गुड़ी पडवा में गुडी का अर्थ विजय पताका बताया गया है। शालि वाहन संवत से लेकर विक्रम संवत तक का शुभारंभ भी गुड़ी पडवा से ही होता है। इतना ही नहीं इसी दिन ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की थी, ऐसा उल्लेख भी मिलता है। इस वर्ष 18 मार्च के दिन वह पवित्र दिन हम सभी के लिये खुशियां लेकर आ रहा है। हम संवत 2074 को अलविदा कहेंगे और स्वागत करेंगे संवत 2075 का। इसी तरह शालिवान शक: 1939 हमसे दूर चला जायेगा, और हम 1940 का आगाज करते दिखेंगे। इतिहास के पन्नों से यह जानकारी भी प्रकाश में आ रही है कि महान गणितज्ञ भास्काराचार्य ने इसी दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुये भारतीय पंचांग की रचना की थी।

              चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को शुरू हुआ सृष्टि का निर्माण--

     भारतीय संस्कृति के अनुसार वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही होता है। इसे सृष्टि के आरंभ का दिन माना जाता है। यह वैज्ञानिक तथा शास्त्रशुद्ध गणना है। इसकी काल गणना बड़ी प्राचीन है। सृष्टि के आरंभ से अब तक एक अरब 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार, 118 वर्ष व्यतीत हो चुके है। यह गणना ज्योतिष विज्ञान के अनुसार निर्मित है। आधुनिक वैज्ञानिक भी सृष्टि की उत्पत्ति का समय 1 अरब वर्ष से अधिक बताते है। हमारे देश में कई प्रकार की काल गणना की जाती है। युगाब्द (कलयुग का आरंभ) श्री कृष्ण संवत, शक् संवत आदि। चंद्रमा की स्थिति देखकर एक भोला भोला ग्रामीण बड़ी आसानी से जान लेता है आज पूर्णिमा है या एकम, द्वितीया आदि। इस प्रकार काल गणना हिंदू धर्मावलंबियों के रोम रोम एवं भारत वर्ष के कण कण में गहराई तक उतरी हुई है। प्रतिपदा हमारे लिये क्यों महत्वपूर्ण है, इसके सामाजिक और एतिहासिक संदर्भ के साथ धार्मिक संदर्भ भी कुछ इस तरह है।

1. मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का राज्याभिषेक।
2. मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि का प्रथम दिन।
3. युगाब्ध (युधिष्ठिर संवत) का शुभारंभ।
4. शालिवाहन शक् संवत (भारत वर्ष का राष्ट्रीय पंचांग)।
5. महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना।
6. संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिन।

--प्रस्तुतकर्ता-डा. सूर्यकांत मिश्रा
राजनांदगांव (छ.ग.)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.12.2022-मंगळवार.