scientific world-एक सामान्य हेल्दी व्यक्ति को प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए-2-

Started by Atul Kaviraje, December 09, 2022, 09:41:43 PM

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Atul Kaviraje

                                  "scientific world"
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मित्रो,

     आज पढते है, "scientific world" इस ब्लॉग का एक लेख . इस लेख का शीर्षक है- "एक सामान्य हेल्दी व्यक्ति को प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए और क्यों ?"

   एक सामान्य हेल्दी व्यक्ति को प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए और क्यों ?--
            How much water to drink in a day--क्रमांक-2--
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     बचपन में एक खेल देखा था-सर्कस का, एक कलाकार एक बड़ा जार पानी एक बार में ही पी जाता था, लेकिन फ़ौरन उसे उगल भी देता था। पानी में कई मर्तबा छोटी-छोटी मच्छी भी रहतीं थीं जिन्हें वह लगातार निकाल-निकाल के दिखाता था। कौतुक दिखाने के चक्कर में आप कभी भी ऐसा न करें। वाटरटोक्सीमिया के मामले में पानी की अतिरिक्त मौजूदगी हमारे शरीर में खनिजों का स्तर खतरनाक तरीके से गिरा देती है इसीलिए इस स्थिति को हाइपो (यानी सामान्य से नीचे का स्तर) नाट्रेमिया कहा गया है।

     कुल मिलाकर लब्बोलुआब यही है :अति सर्वत्र वर्ज्यते, बोले तो- अति का भला न बोलना ,अति की भली न चूप (चुप्प), अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

     आपका शरीर एक खेत की तरह है, इसे सींचिये लेकिन उतना ही जितना ज़रूरी है इसके सुचारु संचालन के लिए। कुछ मेडिकल कंडीशंस में यथा-प्रोस्टेटिक एंलार्जमेंट के मामलों में एक साथ एक लीटर या और भी ज्यादा पानी पीना वांछित नहीं है। इससे गुर्दों का काम बढ़ जाता है। कुछ खास यौगिक और इतर क्रियाओं को करने वाले लोग उष: जलपान करते हैं एक साथ एक डेढ़ लीटर पानी सुबह सुबह बासी मुंह पी जाते हैं। यह सबके के लिए न तो सम्भव है, न अक्लमंदी का काम है, न मुनासिब ही है।

     शरीर को पर्याप्त जलनियोजन बनाये रखने के और कई फायदे हैं। इससे सिरदर्द की अवधि और तीव्रता बर्दाश्त के अंदर रहती है, कमतर रहती है। दूसरे छोर पर मइग्रेन (आधा-शीशी का पूरा उग्र सिरदर्द) के मामले जलनियोजन का अभाव, पानी की कमी होने पर माइग्रेन को भड़का सकती है।

     जलनियोजन को बनाये रहने, जल की कमी से बचे रहने के लिए अपने साथ हमेशा पानी की बोतल रखिये, चाहे फिर वह सैर-सपाटा हो या किसी भी अन्य किस्म की आउटिंग। रेस्त्रां में वेटर पहले पानी लाता है गटक लीजिये। अपनी खुराक में फल-सलाद आदि कोशिश करके लीजिए, ये खुराक का 40 फीसदी हिस्सा होना चाहिए।

     यह आकस्मिक नहीं है, कहा गया है- जल ही जीवन है। हमारे शरीर का अधिक भाग पानी ही है। वयस्कों में शरीर का औसतन 57-60 फीसद हिस्सा जल ही रहता है। एक साल से पहले शिशुओं में जल की मात्रा 75-78 फीसदी रहती है, जो एक साला होने पर घटके औसतन 65 फीसद रह जाती है।

     शरीर में मौजूद कुल पानी का दो तिहाई अंश इंट्रा-सेलुलर (कोशिकाओं के बीच में) तथा शेष एक तिहाई इनके बाहर रहता है। पानी हमारी कोशिकाओं का बुनियादी कच्चा माल है जिसका उपयोग कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है।

     हमारा कुदरती तापनियामक-थर्मोस्टेट है जल, जहां हमारे शरीर में प्रोटीनों और कार्बोहाइड्रेटों के चय-अपचयन (मेटाबॉलिज़्म) में पानी की जरूरत रहती है वहीँ यह लार के लिए आवश्यक जिंस है, जिसकी पाचन में महती भूमिका रहती है।

     हमारे शरीर से मलबा, अवांछित कचरा, गैर-ज़रूरी पदार्थ निकालने का एक तंत्र है पानी। गर्भ-जल ही हिफाज़त करता है गर्भस्थ की। जन्मजात शोक अब्जॉर्बर है शरीर का जल। संभाल के रखता है हमारे दिल और दिमाग व अन्य महत्वपूर्ण अंगों को। इसलिए नियमित रूप से जल का सेवन करें और स्‍वस्‍थ रहें।

--scientific world
(October 8, 2017)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-मेरा सरोकार.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.12.2022-शुक्रवार.