UNPREDICTABLE ANGRY BOY-कविता-सूरज की एक झलक

Started by Atul Kaviraje, December 10, 2022, 09:46:23 PM

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Atul Kaviraje

                          "UNPREDICTABLE ANGRY BOY"
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मित्रो,

     आज पढते है, प्रकाश साह, इनके "UNPREDICTABLE ANGRY BOY" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "सूरज की एक झलक "

                                  सूरज की एक झलक--
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पेड़-पौधों की है ललक,
देख लूँ सूरज की एक झलक,
इंतजार की किरण जाने लगी,
आँखों की रौशनी खोने लगी,
अब हौले-हौले गिरने लगी आँखों की पलक ।

आपके कारण फूलों में है सुगंधित महक,
आपसे दूर जाने की है झिझक,
पेड़-पौधों की है ललक,
देख लूँ सूरज की एक झलक ।

जीवन जीने की आत्मीयता आप से ही,
खानापूर्ती आप से ही,
हर दुःख दर्द से निपटने की है कवच,
आपकी जिम्मेदारी पे है ना किसी को शक,
पेड़-पौधों की है ललक,
देख लूँ सूरज की एक झलक ।

धुल जाए मन की दूषित कलंक,
बारीश की एक बूँद गया टपक,
सुबह होने की आँखों मे है चमक,
आ चुका है प्रकाश का धमक,
सुन लो दुनिया वालों...
पेड़-पौधों की है ललक,
देख लूँ सूरज की एक झलक ।

--प्रकाश साह
(Saturday, 31 December 2016)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-prkshsah2011.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-10.12.2022-शनिवार.