साहित्यिक निबंध-निबंध क्रमांक-118-एक दिन माँ के लिए--1-

Started by Atul Kaviraje, December 25, 2022, 09:23:04 PM

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Atul Kaviraje

                                   "साहित्यिक निबंध"
                                   निबंध क्रमांक-118
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मित्रो,

     आईए, आज पढते है " हिंदी निबंध " इस विषय अंतर्गत, मशहूर लेखको के कुछ बहू-चर्चित "साहित्यिक निबंध." इस निबंध का विषय है-" एक दिन माँ के लिए"
   
                               एक दिन माँ के लिए--1--
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     मातृ दिवस या मदर्स डे मनाने की परंपरा बहुत पुरानी नहीं है। सत्रहवीं शताब्दी में युनाइटेड किंगडम में इसे मनाना शुरू किया गया था। एक पुरानी परंपरा के अनुसार इसाइयों को अपनी माँ के चर्च में साल में कम से कम एक दिन जाना चाहिए और शायद उसी प्रावधान ने बाद में मदरर्स डे नाम ले लिया। पहले यह दिन लेंट(ईस्टर के चालीस दिन पहले) के चौथे रविवार को मनाया जाता था। जिसे 'मदरिंग संडे' या 'मिडलेंट संडे' कहा जाता था, जो मार्च में आता है।

     ब्रिटेन में १६वीं शताब्दी में 'मदरिंग संडे' मनाने की परंपरा का उल्लेख भी मिलता है। जो गरीब लोग अपने गाँव से दूर शहर के अमीरों के घरों में नौकरी करते थे वे इस दिन अवकाश लेकर घर जाते थे। गाँव में इस समय माँ व अन्य परिजानों के साथ उत्सव और खानेपीने का वातावरण रहता। शहर से आने वाले कामगार माँ के लिए केक व अन्य उपहार ले जाते। इस दिन एक विशेष केक का बड़ा महत्तव होता था जिसे 'मदरिंग केक' या 'सिमनल केक' कहा जाता था।

     पुरातन ग्रीस में वर्ष में एक दिन देवों की माँ "रीहा" के नाम पर वसंत ऋतु में उत्सव मनाने की प्रथा थी। इस अवसर पर सुबह-सुबह उठ कर रीहा को शहद से बने केक का भोग लगाया जाता था, उसे उत्तम पेय चढ़ाया जाया था तथा फूलों से अभिनंदन किया जाता था। ऐसा लगता है कि माँ को मदर्स डे पर बिस्तर में फूल और सुबह का नाश्ता देने की प्रथा तभी से शुरू हुई।

     अलग-अलग देशों में इस दिन को मनाने की परंपरा थी और इसके कारण और उद्देश्य भी अलग-अलग थे। आस्ट्रेलिया, मैक्सिको, डेन्मार्क, फिनलैंड, इटली, टर्की, बेल्जियम, रूस, चीन और थाईलैंड में मातृदिवस मनाने की परंपरा अमेरिका से पहले से जारी है। भारत में माँ के महत्तव को धार्मिक अनुष्ठानों से बहुत पहले से जोड़ा जाता रहा है। नवरात्रों में देवी की पूजा और कन्या खिलाने की प्रथा काफी कुछ पश्चिम के मदर्स डे से मिलती जुलती है। बाइबल में ईव को समस्त प्राणियों की माँ माना गया है।

     अमेरिका में इस पर्व को सबसे पहले अठ्ठारह सौ बहत्तर में छोटे पैमाने पर बोस्टन शहर में जूलिया वार्ड होवे के सुझाव पर छुट्टी रख कर मनाया गया था। जूलिया होवे को अमरीका में महिला अधिकारों का मसीहा कहा जा सकता है। उन्होंने मदर्स डे के रूप में अमरीका में महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुख-समृद्धि के लिए घोर संघर्ष किया। फ्रांसीसियों और जर्मनों के बीच युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों की मृत्यु के बाद परिवार बिखर गए थे और अनेक महिलाएँ बेसहारा हो गई थीं। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था और उनका जीवन बड़े कष्ट में व्यतीत हो रहा था। मदर्स डे मना कर जूलिया ने समाज और सरकार का ध्यान इन महिलाओं की ओर खींचा और उनके पुनर्स्थापन का महत्तवपूर्ण काम किया।

--अर्बुदा ओहरी   
(१६ मई २००६)
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                      (साभार एवं सौजन्य-अभिव्यक्ती-हिंदी.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.12.2022-रविवार.