एक मंच [Ek manch]-कविता-इंसान को इंसान बनाया जाए....

Started by Atul Kaviraje, December 25, 2022, 10:03:24 PM

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Atul Kaviraje

                                 "एक मंच [Ek manch]"
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मित्रो,

     आज पढते है, "एक मंच [Ek manch]" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "इंसान को इंसान बनाया जाए...."

                              "इंसान को इंसान बनाया जाए...."
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अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए।
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए।

जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर
फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए।

आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में भी
कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए।

प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए
हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए।

मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा
मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए।

जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आँसू तेरी पलकों से उठाया जाए।

गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी
ऐसे माहौल में 'नीरज' को बुलाया जाए।

--गोपालदास "नीरज"
(शनिवार, 30 दिसंबर 2017)
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-एक मंच.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.12.2022-रविवार.