काव्यालय कविता-कविता सुमन-24-चिकने लम्बे केश

Started by Atul Kaviraje, January 05, 2023, 09:40:11 PM

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Atul Kaviraje

                                    "काव्यालय कविता"
                                     कविता सुमन-24
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "काव्यालय कविता" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "चिकने लम्बे केश"

                                    "चिकने लम्बे केश"
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चिकने लम्बे केश
काली चमकीली आँखें
खिलते हुए फूल के जैसा रंग शरीर का
फूलों ही जैसी सुगन्ध शरीर की
समयों के अन्तराल चीरती हुई
अधीरता इच्छा की
याद आती हैं ये सब बातें
अधैर्य नहीं जागता मगर अब
इन सबके याद आने पर

न जागता है कोई पश्चाताप
जीर्णता के जीतने का
शरीर के इस या उस वसन्त के बीतने का

दुःख नहीं होता
उलटे एक परिपूर्णता-सी
मन में उतरती है

जैसे मौसम के बीत जाने पर
दुःख नहीं होता
उस मौसम के फूलों का !

--भवानीप्रसाद मिश्र
(साहित्य अकादेमी पुरस्कृत संकलन "बुनी हुई रस्सी" से)
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(17 May 2019)
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                   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-काव्यालय.ऑर्ग/युगवाणी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.01.2023-गुरुवार.