निबंध-क्रमांक-135-अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, January 11, 2023, 09:33:22 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-135
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध "

           अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध-Essay on Space Travel--
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     मई 1969 में चंद्रमा पर उतरने के शानदार नाटक का पूर्वाभिनय अंतरिक्ष-यान 'अपोलो-10' छोड़कर किया गया। इसके तीन यात्री (थोमस स्टाफोर्ड, जॉन यंग तथा यजीन कारनान) अंतरिक्ष-यान को चंद्रकक्ष में ले गए। एक अंतरिक्ष-यात्री मलयान को कक्ष में घमाता रहा तथा अन्य दो यात्री चंद्रयान में बैठकर उसे चंद्रमा से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर ले गए। इन यात्रियों ने 'अपोलो-11' से यात्रियों के उतरने के संभावित स्थानों का निकट से अध्ययन किया। चंद्रयान को मलयान से ये तीनों यात्री सकुशल पृथ्वी पर लौट आए।

     16 जुलाई, 1969 को संध्या 7 बजकर 2 मिनट पर 'अपोलो-11' नामक अंतरिक्ष-यान ने अमेरिका के केप कैनेडी से प्रस्थान किया। इसपर तीन यात्री सवार थे-नील ए० आर्मस्ट्रांग, एडविन ई० एल्ड्रिन और माइकेल कॉलिन्स । भारतीय समय के अनुसार 1 बजकर 47 मिनट पर किसी अन्य ग्रह पर मानव ने प्रथम बार पदार्पण किया। असीम अंतरिक्ष को भेदते हुए पृथ्वी से 4 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने में मनुष्य को 102 घंटे 45 मिनट 42 सेकेंड लगे। 21 जुलाई को 8 बजकर 27 मिनट प्रातःकाल आर्मस्ट्रांग ने अपना विजयचरण चंद्रलोक पर रखा। यह मानव-इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी। मानव-अनुसंधान की सबसे बड़ी उपलब्धि के नायक आर्मस्ट्रांग ने अखिल विश्व से अनंत शुभकामनाएँ प्राप्त की। आर्मस्ट्रांग ने वहाँ पहुँचकर जो अपनी सर्वप्रथम प्रतिक्रिया व्यक्त की, वह थी-"सुंदर दृश्य है; सब कुछ संदर है।" आर्मस्ट्रांग के बीस मिनट बाद एल्ड्रिन चंद्रतल पर उतरे। चंद्रतल को 'नीरहीन शांत समुद्र' की संज्ञा दी गई।

     दोनों यात्रियों ने बताया है कि चाँद की जमीन बड़ी सख्त है। वहाँ की तुलना उन लोगों ने अमेरिका के पश्चिमी रेगिस्तान से की है। चंद्रतल पर अनगिनत ज्वालामुखी हैं। वहाँ से जो मिट्टी और चट्टानों के नमूने लाए गए हैं, उनके अध्ययन से चंद्रलोक के बारे में बहुत-सी बातों की जानकारी होगी।

     चंद्रतल के 'भव्य एकांत' में लगभग बाईस घंटे की चहलकदमी के बाद ये वहाँ से 22 जुलाई को 10 बजकर 25 मिनट पर विदा हुए। 24 जुलाई की रात्रि 10-20 बजे यह यान प्रशांत महासागर में सकुशल उतर गया। इस अवसर पर इन यात्रियों को बधाई देने स्वयं राष्ट्रपति निक्सन पहुँचे थे।

     स्व० राष्ट्रपति कैनेडी ने 25 मई, 1969 को कहा था, "अमेरिका को इस दशाब्दी से पूर्व ही मानव को चंद्रमा पर उतारने तथा उसे सकुशल पृथ्वी पर लौटाने का लक्ष्य निर्धारित करके पूरा कर दिखाना चाहिए।" राष्ट्रपति कैनेडी का स्वप्न साकार हुआ, जब 22 जुलाई को चंद्रयात्रियों ने एक धातुफलक चंद्रलोक पर छोड़ा जिसमें लिखा था;

     "जुलाई, 1969 में पृथ्वी से मानव चंद्रमा के इस स्थान पर उतरे। हम यहाँ सारी मानवजाति के लिए शांति की कामना लेकर आए।"

     19-20 नवंबर, 1969 को दूसरी बार 'अपोलो-12' के दो अंतरिक्षयात्री चार्ल्स कॉनराड तथा एलेन बीन साढ़े इकतीस घंटे तक चाँद के तूफानी सागर का पर्यटन कर आए।

     'अपोलो-13 11-12 अप्रैल, 1970 को भारतीय समय के अनुसर रात्रि के 12 बजकर 43 मिनट पर फ्लोरिडा के अंतरिक्ष अड्डे से धुएँ का बादल छोड़ते हुए चला था। इसपर जेम्स एक लॉवज जुनियर, जॉन स्वीगर्ट और फ्रेड डब्लू० हेज जनियर सवार थे। दर्भाग्य से इसके सेवाकक्ष में गड़बड़ी पैदा हो गई। इन यात्रियों को चाँद के 'फ्रा मौरा' क्षेत्र में उतरना था। किंतु, अब चाँद पर जाने की बात कौन कहे, इन्हें पृथ्वी पर उतरने की चिंता होने लगी।

--सतीश  कुमार
(मार्च 26, 2021)
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                        (साभार एवं सौजन्य-माय हिंदी लेख.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.01.2023-बुधवार.