निबंध-क्रमांक-136-अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, January 12, 2023, 09:55:36 PM

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Atul Kaviraje

                                      "निबंध"
                                    क्रमांक-136
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध "

             अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध-Essay on Space Travel--
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     इससे अंतरिक्ष-यात्रा के इतिहास में एक अद्भुत अध्याय का आरंभ हआ। पृथ्वी से लाखों मील दूर, चाँद के गुरुत्वाकर्षण में कैद, घायल चंद्रयान को पृथ्वी पर किसी प्रकार से ले आने की चेष्टा की जाने लगी। मौत के दरवाजे से इन उड़ाकों को वापस लाने की कहानी सचमुच बड़ी ही रोमांचक है। इन तीनों यात्रियों को यान में अनगिनत संकटों का सामना करना पड़ा; जैसे पानी, बिजली, ऑक्सीजन का संकट, असह्य सर्दी आदि, पर इनका सकुशल पृथ्वी पर लौट आना चाँद की धरती पर कदम रखकर वापस आने से भी अधिक लोमहर्षक और आश्चर्यजनक था।

     सच कहा जाए तो महाकाश में मृत्यु की घाटी से मनुष्य का इस प्रकार बाल-बाल बच जाना चाँद पर कदम रखने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। चाँद पर चरण रखकर मनष्य को यह मालूम हुआ था कि वह अन्य ग्रहों को जीत सकता है, पर चंद्र लोक की यात्रा के दौरान अचानक विपत्तियों के आ जाने पर मनुष्य उनपर भी विजय पा सकता है यह कथा अज्ञात थी। 'अपोलो-13' ने सिद्ध कर दिया कि मानव पृथ्वी से लाखों मील दूर महाकाश और महाकाल के संधिस्थल पर भी अपराजेय

     इसके बाद 'अपोलो-14′ और '15' चंद्रतल पर जाकर सकुशल पृथ्वी पर लौट आए। 1972 ई० के अप्रैल महीने में 'अपोलो-16' रवाना हआ। इस यान में कप्तान जान यंग, लेफ्टिनेंट कर्नल चार्ल्स ड्यूक और लेफ्टिनेंट कमांडर टॉमस मार्टिगले थे। यह यात्रा बहत बड़ी सफल रही। ये यात्री चंद्रतल से एक सौ ग्यारह किलो चट्टान लेकर पृथ्वी पर उतरे। 5 दिसंबर, 1972 को 'अपोलो यान-17' से स्मिट और सरनान दो यात्री 75 घंटे तक चाँद की दुनिया में सैर कर सकुशल लौट आए। यह यात्रा इस सदी की अमेरिका की ओर से अंतिम अपोलो-यात्रा थी।

     रूस ने चाँद के अलावा शुक्रग्रह पर भी उपग्रह छोड़ा। 16 मई, 1969 को रूसी यान शक्रग्रह पर उतरा। इससे प्राप्त सूचनाओं के अनुसार मनुष्य का शुक्रग्रह पर निवास करना संभव नहीं है। इसी तरह मंगल, बृहस्पति, शनि आदि ग्रहों की दिशा में भी अनेक अंतरिक्ष-यात्राएँ मानवकृत उपग्रहों ने की हैं। अंतरिक्ष के विभिन्न ग्रहों की ओर न मनुष्य का आकर्षण समाप्त हुआ है और न उसके एतद्विषयक प्रयास की ही इति हुई है। इसी क्रम में प्रथम भारतीय अंतरिक्ष-यात्री राकेश शर्मा का नाम भी गौरव के साथ लिया जाएगा।

--सतीश  कुमार
(मार्च 26, 2021)
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                        (साभार एवं सौजन्य-माय हिंदी लेख.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.01.2023-गुरुवार.