निबंध-क्रमांक-137-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी

Started by Atul Kaviraje, January 13, 2023, 10:03:01 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-137
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी"

                पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी (Petrol Price Hike)--
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     इस साल बहुत बार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े, कुछ लोग इसका कसूरवार सरकार को तो कोई रूस और यूक्रेन युद्ध को ठहरा रहा, लेकिन आखिर इसकी असली वजह क्या है और डीजल पेट्रोल के बढ़ते दामों का सर्वसाधारण की जिंदगी में क्या प्रभाव पड़ेगा, इस लेख में हम इन्ही कुछ बातों पर विचार करेंगे।

                  प्रस्तावना--

     ईंधन एक महत्वपूर्ण वस्तु है जिसके बिना जीवन असंभव होगा। लगभग सभी वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कंपनी को परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से तेल की आवश्यकता होती है।

     इसके बावजूद, कीमती वस्तु हर दिन महंगी होती जा रही है और इस प्रकार कुछ आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की गंभीर कमी पैदा हो रही है।  यह कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण है। 

     यह लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं पर मुद्रास्फीति के दबाव का कारण बन रहा है।

     संगठन पेट्रोलियम निर्यातक देशों (ओपेक) को वैश्विक ईंधन को विनियमित और नियंत्रित करने की समग्र जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह वैश्विक आर्थिक स्थितियों के आधार पर कीमतों को बढ़ाता या घटाता है।

     ओपेक के भीतर सबसे बड़ा तेल उत्पादक सऊदी अरब है।

     यातायात ही किसी भी देश के आर्थिक विकास का आधार होता है और यातायात पेट्रोल और डीजल के बिना संभव नहीं है हालांकि हमारे पास अन्य विकल्प भी उपलब्ध है, लेकिन उनके क्रियान्वयन और संपूर्ण दोहन के लिए इंतजार करना होगा क्योंकि अभी तक उस तरह की प्रौद्योगिकी नही उपलब्ध है।

     भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि दो दशकों से एक ज्वलंत मुद्दा है। लोग पेट्रोल और उसके उत्पादों की बढ़ती कीमतों के प्रति बहुत प्रतिक्रियाशील हैं।

     पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी मूल रूप से कच्चे तेल की औसत कीमत और विदेशी विनिमय दरों में बदलाव के कारण हुई है। 

                पेट्रोल व डीजल में भारत की वर्तमान स्थिति--

     भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। भारत अपनी आवश्यकता का 80% से अधिक कच्चे तेल का आयात करता है और उसमें से 60% से अधिक ओपेक से आयात करता है।

     हाल ही में इराक भारत को तेल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है, इसके बाद भारत सऊदी अरब, ईरान और कुवैत, वेनेजुएला, नाइजीरिया आदि से तेल निर्यात करता है।

                   तेल और ईरान--

     भारत अपनी जरूरत का 10% ईरान से खरीदता है। यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है। यह 60 दिनों का क्रेडिट प्रदान करता है।

     ईरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिदिन 2.4 मिलियन बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति करता है।

     तेल के लिए आयात बिल का मूल्य जुलाई में एक साल पहले के मुकाबले 76 फीसदी बढ़कर 10.2 अरब डॉलर हो गया, जिससे व्यापार घाटा बढ़कर 18 अरब डॉलर (पांच साल में सबसे ज्यादा) हो गया।

     कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से यह सुनिश्चित होगा कि चालू वित्त वर्ष में सीएडी जीडीपी के 2.6% तक पहुंच जाएगा, जो एक साल पहले 1.5% था।

--मिनू सैनी
(Aug 16, 2022)
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                        (साभार एवं सौजन्य-माय हिंदी लेख.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक- 13.01.2023-शुक्रवार.