II शुभ मकर संक्रात II-कविता-1-मकर संक्रान्ति

Started by Atul Kaviraje, January 15, 2023, 11:08:32 AM

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Atul Kaviraje

                                   II शुभ मकर संक्रात II
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मित्रो,

     आज दिनांक-१५.०१.२०२३ है. आजका शुभ दिन "मकर-संक्रांति" का पुण्य-पावन पर्व लेकर आया है. सूर्य-भगवानकI इसी दिन मकर राशीमे संक्रमण होता है. सारे देशमे यह पर्व भिन्न भिन्न नामोसे मनाया जाता है. इस दिन को तिल और गुड इनसे बने पदार्थोका विशेष महत्त्व होता है. मराठी कविता के मेरे सभी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, सारे इकठठे हो, और बोलो- "तिल गुड लेलो, मीठा मीठा बोलो". अपने सभी वाद-विवाद, झगडे-तंटे इनको मिटाकर एक होंगे, मिलके रहेंगे. आईए, सुनते है, इस पर्व की कुछ मिठी कविताये, जिनकI स्वाद आपके जिव्हा पर साल भर के लिये घुल मिल जायेगा.

     मकर संक्रांति का त्योहार संपूर्ण भारत में मनाया जाने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, जो सूर्य के उत्तरायण होने के बाद मनाया जाता है। इस त्योहार की खास विशेषता यह है कि अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों को नहीं मनाया जाता है बल्कि यह हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है।

     भौगोलिक दृष्टि के अनुसार यह माना जाता है की जब सूर्य मकर रेखा के पास आता है तो वह दिन 14 जनवरी का ही होता है। इसीलिए इस दिन मकर संक्रांति का त्योहार संपूर्ण देश में मनाया जाता है। मकर संक्रांति को 'स्नान दान' का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थों और पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से देवता प्रसन्न होते हैं।

     भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में या त्यौहार अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में उसे 'संक्रांति' तमिलनाडु में 'पोंगल' के नाम से मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नये फसल का स्वागत मैं 'लोहड़ी' के नाम से मनाया जाता है वहीं असम में 'बिहू' के रूप में इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

     यहां पर हमनें मकर संक्रान्ति पर्व पर सुंदर कविता- Poem On Makar Sankranti In Hindi शेयर किये है। हम उम्मीद करते हैं, कि आपको यह हिंदी कविताएं पसंद आएगी और इसे आगे शेयर जरूर करें।

                                       "मकर संक्रान्ति"
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मकर राशि में सूर्य है आया,

प्रेम भाव संग अपने लाया।

जन गण का सैलाब है उमड़ा,

नदियों का घाट-घाट हर्षाया।


शीतल पवन संग धूप है बिखरी,

प्रकृति की काया भी निखरी।

नीला अम्बर बना बड़ा अतरंगी,

डोर संग जब उड़े पतंगें सतरंगी।


उत्तरायण की छटा निराली,

सबके चेहरे पर बिखरी लाली।

गुड़,तिल का सब दान हैं करते,

पुण्य कर्म से हैं झोली भरते।


नव वर्ष का यह प्रथम त्योहार,

जीवन में लाए खुशियां अपार।

सबके बीच बड़े प्यार-दुलार,

सबको मुबारक हो संक्रान्ति का त्योहार।

--कल्पना सिंह
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ज्ञान की नगरी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.01.2023-रविवार.
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