काव्यालय कविता-कविता सुमन-34-तैर रहा इतिहास नदी में

Started by Atul Kaviraje, January 15, 2023, 09:49:15 PM

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Atul Kaviraje

                                    "काव्यालय कविता"
                                     कविता सुमन-34
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "काव्यालय कविता" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "तैर रहा इतिहास नदी में"

                                  "तैर रहा इतिहास नदी में"
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तैर रहा है
यहाँ, बंधु, इतिहास नदी में

खँडहर कोट-कँगूरे तिरते उधर मगध के
इधर लहर लेकर आई है अक़्स अवध के

काँप रही है
उनकी बूढ़ी साँस नदी में

डोल रहा है महाबोधि बिरवे का साया
वहीँ तिर रही कल्पवृक्ष की भी है छाया

घोल रहे वे
सदियों की बू-बास नदी में

कहीं अहल्या कहीं द्रोपदी की परछाईं
सिया-राम की झलक अभी दी उधर दिखाई

लहर रहा है
पुरखों का विश्वास नदी में

बिरवा : पेड़

--कुमार रवीन्द्र
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(4 Jan 2019)
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-काव्यालय.ऑर्ग/युगवाणी)
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POSTED------संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.01.2023-रविवार.
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