II 26 जनवरी-गणतंत्र दिवस II-कविता-4-गणतंत्र भारत का निर्माण

Started by Atul Kaviraje, January 26, 2023, 11:35:52 AM

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Atul Kaviraje

                                 II 26 जनवरी-गणतंत्र दिवस II
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मित्रो,

आज दिनांक-२६.०१.२०२३-गुरुवार है. हमारे भारत देश का यह राष्ट्रीय दिन "गणतंत्र दिवस" कहलातI है. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया। भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। इस वजह से हर साल 26 जनवरी का दिन राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारतीय संविधान का निर्माण डॉ बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा किया गया था, जिसमें 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको गणतंत्र दिवस कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते कुछ है कविताये-रचनाये. 

                                 "गणतंत्र भारत का निर्माण"
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हम गणतंत्र भारत के निवासी, करते अपनी मनमानी,

दुनिया की कोई फिक्र नहीं, संविधान है करता पहरेदारी।।

है इतिहास इसका बहुत पुराना, संघर्षों का था वो जमाना;


न थी कुछ करने की आजादी, चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी,

एक तरफ विदेशी हमलों की मार,

दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात,

पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,

विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी,

एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,

छोड़ दी अपनी जान की परवाह, बस आजाद होने की थी आखिरी आस।

1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,

जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी,

जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी,

देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी,

जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी,

उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी,

हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर, कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर,

मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी,

अपने बलिदान के बाद भी अंग्रेजों में खौफ छोड़ गयी|

उसकी शहादत ने हजारों देशवासियों को नींद से उठाया था,

अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक नयी सेना के निर्माण को बढ़ाया था,


फिर तो शुरु हो गया अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का सिलसिला,

एक के बाद एक बनता गया वीरों का काफिला,

वो वीर मौत के खौफ से न भय खाते थे,

अंग्रेजों को सीधे मैदान में धूल चटाते थे,

ईट का जवाब पत्थर से देना उनको आता था,

अंग्रेजों के बुने हुये जाल में उन्हीं को फसाना बखूबी आता था|

खोल दिया अंग्रेजों से संघर्ष का दो तरफा मोर्चा,

1885 में कर डाली कांग्रेस की स्थापना,

लाला लाजपत राय, तिलक और विपिन चन्द्र पाल,

घोष, बोस जैसे अध्यक्षों ने की जिसकी अध्यक्षता,

इन देशभक्तों ने अपनी चतुराई से अंग्रेजों को राजनीति में उलझाया था,

उन्हीं के दाव-पेचों से अपनी माँगों को मनवाया था|

सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को गाँधी ने अपनाया था,

कांग्रेस के माध्यम से ही उन्होंने जन समर्थन जुटाया था,

दूसरी तरफ क्रान्तिकारियों ने भी अपना मोर्चा लगाया था,

बिस्मिल, अशफाक, आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे,

क्रान्तिकारियों से देशवासियों का परिचय कराया था,

अपना सर्वस्व इन्होंने देश पर लुटाया था,

तब जाकर 1947 में हमने आजादी को पाया था|

एक बहुत बड़ी कीमत चुकायी है हमने इस आजादी की खातिर,

न जाने कितने वीरों ने जान गवाई थी देश प्रेम की खातिर,

निभा गये वो अपना फर्ज देकर अपनी जाने,

निभाये हम भी अपना फर्ज आओ आजादी को पहचाने,

देश प्रेम में डूबे वो, न हिन्दू, न मुस्लिम थे,

वो भारत के वासी भारत माँ के बेटे थे|

उन्हीं की तरह देश की शरहद पर हरेक सैनिक अपना फर्ज निभाता है,

कर्तव्य के रास्ते पर खुद को शहीद कर जाता है,

आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने,

हिन्दू, मुस्लिम, सब छोड़कर, मिलजुलकर आगे बढ़े,

जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, ये देश में फैली बुराई है,

जिन्हें किसी और ने नहीं देश के नेताओं ने फैलाई है

अपनी कमियों को छिपाने को देश को भरमाया है,

जातिवाद के चक्र में हम सब को उलझाया है|

अभी समय है इस भ्रम को तोड़ जाने का,

सबकुछ छोड़ भारतीय बन देश विकास को करने का,

यदि फसे रहे जातिवाद में, तो पिछड़कर रह जायेंगे संसार में,

अभी समय है उठ जाओं वरना पछताते रह जाओगें,

समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाओगे,

भेदभाव को पीछे छोड़ सब हिन्दुस्तानी बन जाये,

इस गणतंत्र दिवस पर मिलजुलकर तिरंगा लहराये।।

--अर्चना सिंह
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी की दुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.01.2023-गुरुवार.
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