मेरी धरोहर-कविता सुमन-45-हवा यूं तो हर दम भटकती है..

Started by Atul Kaviraje, January 26, 2023, 08:52:58 PM

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Atul Kaviraje

                                    "मेरी धरोहर"
                                  कविता सुमन-45
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "हवा यूं तो हर दम भटकती है.."

                              "हवा यूं तो हर दम भटकती है.."   
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हवा यूं तो हर दम भटकती है, लेकिन
हवा के भी घर हैं
भटकती हवा
जाने कितनी दफ:

शह्द की मक्खियों की तरह
घर में जाती है अपने !
अगर ये हवा
घर न जाए तो समझो
के उसके लिए घर का दरवाज़ा वा
फिर न होगा कभी
और उसे और ही घर बनाना पड़ेगा
ये हम और तुम
और कुछ भी नहीं
हवाओं के घर हैं !

-मुहम्मद अलवी साहब
--Posted by yashoda Agrawal
(Monday, December 30, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.01.2023-गुरुवार.
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