साहित्यशिल्पी-एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय

Started by Atul Kaviraje, January 26, 2023, 09:13:16 PM

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Atul Kaviraje

                                     "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय"

   एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय [आलेख]- महेन्द्र सिंह--
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     अर्थ के अभाव में धर्म टिक नहीं पाता हैः-

     पंडित दीनदयाल जी के अनुसार धर्म महत्वपूर्ण है परंतु यह नहीं भूलना चाहिए कि अर्थ के अभाव में धर्म टिक नहीं पाता है। एक सुभाषित आता है- बुभुक्षितः किं न करोति पापं, क्षीणा जनाः निष्करुणाः भवन्ति. अर्थात भूखा सब पाप कर सकता है। विश्वामित्र जैसे ऋषि ने भी भूख से पीड़ित हो कर शरीर धारण करने के लिए चांडाल के घर में चोरी कर के कुत्ते का जूठा मांस खा लिया था। हमारे यहां आदेश में कहा गया है कि अर्थ का अभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि वह धर्म का द्योतक है। इसी तरह दंडनीति का अभाव अर्थात अराजकता भी धर्म के लिए हानिकारक है। पंडित जी का ''चरैवेति-चरैवेति'' के प्रतीक पुरूष से भरा जीवन उत्साह देता है - थक कर न बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफिर मंजिल भी मिलेगी, और मिलने का मजा भी आयेगा।

     पं. दीन दयाल उपाध्याय जी के विचार देश ही नहीं, दुनिया का मार्गदर्शन कर सकते हैंः-

     हमारा मानना है कि पं. दीन दयाल उपाध्याय जी के विचार देश ही नहीं, दुनिया का मार्गदर्शन कर सकते हैं। उनका कहना था कि हमारी प्रगति का आंकलन सामाजिक सीढ़ी के सर्वोच्च पायदान पहुंचे व्यक्ति से नहीं बल्कि सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति की स्थिति से होगा। उनका मानना था कि भारत की सांस्कृतिक विविधता ही उसकी असली ताकत है और इसी के बूते पर वह एक दिन विश्व मंच पर अगुवा राष्ट्र बन सकेगा। कई साल पहले उनके द्वारा स्थापित यह विचार आज माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा किये जाने वाले कार्यों के कारण मूर्तरूप ले रहा है। आज भारत की सांस्कृतिक विरासत पूरी दुनिया को प्रकाशमान कर रही है और शायद वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व मंच पर पूरी दुनिया को राह दिखाने वाला होगा। आइये, हम सब मिलकर उदारचरितानाम तु वसुधैव कुटुम्बकम की भारत की अपनी सभ्यता, संस्कृति तथा संविधान के अनुरूप न्याय आधारित विश्व बनाने का संकल्प लें।

''जो तुमने करके दिखलाया नहीं है आंसा काम,
तुमने अपने साथ किया जग में हम सबका रोशन नाम''

--प्रदीप कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
रायबरेली रोड, लखनऊ
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.01.2023-गुरुवार.
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