साहित्यशिल्पी-हिंदी भाषा उसकी उपभाषाएँ और सम्बंधित बोलियां

Started by Atul Kaviraje, February 03, 2023, 10:09:44 PM

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Atul Kaviraje

                                     "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "हिंदी भाषा उसकी उपभाषाएँ और सम्बंधित बोलियां "

  हिंदी भाषा उसकी उपभाषाएँ और सम्बंधित बोलियां [आलेख]- सुशील कुमार शर्मा--
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     भाषा संचार की जटिल एवं विशिष्ट प्रणाली प्राप्त करने और उपयोग करने कीक्षमता है।भाषा भगवान का दिव्य उपहार है। भाषा मनुष्य के रूप को पशुओं
को अलग करती है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने कहा कि "भाषा मस्तिष्क का प्रकाश है" आज के युग में, एक या अधिक भाषा का बुनियादी ज्ञान महत्वपूर्ण हो गया
है। भाषा, सांस्कृतिक समूहों के बीच संचार का प्रमुख माध्यम बन गई है ,यह कंपनियों और संगठनों, समुदायों और मित्रों को आपस में जोड़ने वाली
प्रणाली है। विटग्नेस्टिन कहते हैं, "मेरी भाषा की सीमा मेरी दुनिया की सीमा है। "

           भाषा का प्रमुख कार्य निम्न तीन पहलुओं को प्रस्तुत करना है:--

1. भाषा संचार का प्राथमिक वाहन है
2. भाषा व्यक्ति के व्यक्तित्व और समाज की संस्कृति को दर्शाती है।
3. भाषाएं संस्कृति का विकास और प्रसारण, और समाज की निरंतरता, और सामाजिक समूह के प्रभावी कार्य और नियंत्रण को संभव बनातीं हैं।

बोली— एक छोटे क्षेत्र में बोली जानेवाली भाषा बोली कहलाती है। बोली में साहित्य रचना नहीं होती है।

उपभाषा— अगर किसी बोली में साहित्य रचना होने लगती है और क्षेत्र का विकास हो जाता है तो वह बोली न रहकर उपभाषा बन जाती है।

भाषा— साहित्यकार जब उस भाषा को अपने साहित्य के द्वारा परिनिष्ठित सर्वमान्य रूप प्रदान कर देते हैं तथा उसका और क्षेत्र विस्तार हो जाता है तो वह भाषा कहलाने लगती है।एक भाषा के अंतर्गत कई उपभाषाएँ होती हैं तथा एक उपभाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ होती हैं।

     भारत में 180 मिलियन से अधिक लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं। एक और 300 मिलियन इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं भारत के बाहर, हिंदी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 100,000 हैं; मॉरीशस में 685,170; दक्षिण अफ्रीका में 890,292; यमन में 232,760; युगांडा में 147,000; सिंगापुर में 5,000; नेपाल में 8 मिलियन; न्यूजीलैंड में 20,000; जर्मनी में 30,000 उर्दू पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा है और पाकिस्तान और अन्य देशों में लगभग 41 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती है, मूलतः यह हिंदी की ही उप भाषा मानी जाती है।

     भाषा का जन्म पहले हुआ और उसकी सार्वभौमिकता और एकात्मकता के लिये लिपि का आविष्कार सम्भव हुआ।बोली या भाषा की सही-सही अभिव्यक्ति की कसौटी हीलिपि की सार्थकता है। प्रतिलेखन और लिप्यांतरण के दृष्टिकोण से देवनागरी लिपि अन्य उपलब्ध लिपियों से बहुत ऊपर है | रोमन और फारसी लिपियां तो इसके समक्ष कहीं भी नहीं ठहरतीं | जहां तक देवनागरी में जटिलता की दुहाई काप्रश्न है, मात्र समझाने के लिये रोमन में 26 अक्षर हैं | वास्तव में यदि स्माल और कैपिटल आदि पर विचार करें तो ये 26x 4=104 अक्षर बनते हैं जो सर्वाधिक हैं -और इतनी संख्या होने पर भी "जो बोला जाय वही लिखा जाय"उक्ति पर खरे नहीं उतरते | जबकि देवनागरी लिपि में आप जो सोचते हैं, जो बोलते हैं या जो चाहते हैं, वही लिख कर वही पढ भी सकते हैं | है किसी अन्यलिपि में यह विशेषता? जबकि देवनागरी विश्व की किसी भी भाषा में जो बोला जाय वही लिख सकने में पूर्णतया सक्षम है | वह भी तब, जब इसमें मात्र 52 अक्षर(14 स्वर और 38 व्यंजन)हैं।

--सुशील कुमार शर्मा
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-03.02.2023-शुक्रवार.
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