निबंध-क्रमांक-160-आत्मनिर्भर भारत

Started by Atul Kaviraje, February 05, 2023, 10:08:28 PM

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Atul Kaviraje

                                      "निबंध"
                                    क्रमांक-160
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " आत्मनिर्भर भारत पर निबंध"

                             आत्मनिर्भर भारत पर निबंध--
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     प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज कोविड-19 महामारी की दिशा में सरकार द्वारा की गई।

     पूर्व घोषणाओं तथा RBI द्वारा लिये गए निर्णयों को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की "सकल घरेलू उत्पाद" (GDP) के लगभग 10% के बराबर है। पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर ध्यान केंद्रित किया  जाएगा।

                 आर्थिक पैकेज का विश्लेषण--

     घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्य से बहुत कम माना जा रहा है। क्योंकि इसमें सरकार के 'राजकोषीय' पैकेज के हिस्से के रूप में RBI द्वारा पूर्व में की गई घोषणाओं को भी शामिल किया गया हैं।

     सरकार द्वारा पैकेज के तहत घोषित प्रत्यक्ष उपायों में सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, वेतन का भुगतान आदि शमिल होते हैं। जिसका लाभ वास्तविक लाभार्थी को सीधे प्राप्त होता है। परंतु सरकार द्वारा की जाने वाली अप्रत्यक्ष सहायता जैसे 'भारतीय रिजर्व बैंक' के ऋण सुगमता उपायों का लाभ सीधे लाभार्थी तक नहीं पहुँच पाता है।

     RBI द्वारा दी जाने वाली सहायता को बैंक ऋण देने के वजाय पुन: RBI के पास सुरक्षित रख सकते हैं। हाल ही में भारतीय बैंकों ने केंद्रीय बैंक में 8.5 लाख करोड़ रुपए जमा किये हैं।

     इस प्रकार घोषित राशि GDP के 10% होने के बावजूद GDP के 5% से भी कम राशि प्रत्यक्ष रूप में लोगों तक पहुँचने होने की उम्मीद है।

                  तकनीकी हस्तक्षेप में वृद्धि--

     भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की स्थापना के माध्यम से दो मुख्य लक्ष्यों (औद्योगिक विकास और रोज़गार) को प्राप्त करने का प्रयास किया गया।
वर्तमान में वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्द्धा के इस दौर में सरकारों को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा।

     वर्तमान में कोविड-19 के कारण बदली हुई परिस्थितियों में अधिकांश कंपागियों में 'ऑटोमेशन' घर से काम करने और अनुबंधित कामगारों को अधिक प्राथमिकता देंगी।
ऐसे में आधुनिक तकनीकी प्रगति के अनुरूप कुशल श्रमिकों की मांग को पूरा करने और लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराने हेतु कौशल विकास के कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना होगा।

                 उत्पादन श्रृंखला में भागीदारी--

औद्योगिक विकास के साथ-साथ ही उत्पादन के स्वरूप और कम्पनीयों/उद्योगों की कार्यशैली में बड़े बदलाव होंगे। ऐसे में कृषि और अन्य क्षेत्रों को इन पाविर्तनों के अनुरूप तैयार कर औद्योगिक विकास के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान दिया जा सकता है। उदाहरण के लिये विभिन्‍न प्रकार के कृषि उत्पादों की पैकेजिंग या उनसे बनने वाले अन्य उत्पादों के निर्माण हेतु स्थनीय स्तर पर छोटी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देकर औद्योगिक उत्पादन श्रृंखला में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।

              आत्म निर्भर भारत के समक्ष संभावित चुनौतियां--

                        लागत और गुणवत्ता--

     वर्तमान में कई क्षेत्रों में भारतीय कम्पनियों को बहुत अधिक अनुभव नहीं है, ऐसे में लगत को कम-से-कम रखते हुए वैश्विक बाज़ार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिये उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।

                     आर्थिक समस्या--

     हाल ही में भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में सक्रिय पूंजी और वित्तीय तरलता की चुनौती के मामलों में वृद्धि देखी गई थी, कोविड-19 की महामारी से औद्योगिक गतिविधियों के रुकने और बाज़ार में मांग कम होने से औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं में वृद्धि हुई है।
ऐसे में सरकार को औद्योगिक अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने के लिये विभिन्‍न श्रेणियों में लक्षित योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
आधारिक संरचना

     विशेषज्ञों के अनुसार, चीन से निकलने वाली अधिकांश कम्पनियों के भारत में न आने का एक मुख्य कारण भारतीय औद्योगिक क्षेत्र (विशेष कर तकनीकी के संदर्भ में) में एक मज़बूत आधारिक ढांचे का अभाव है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय उत्पादक किसी-न-किसी रूप में आयात पर निर्भर रहें हैं।

--राहुल सिंग तन्वर
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                       (साभार एवं सौजन्य-द सिम्पल हेल्प.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.02.2023-रविवार.
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