मेरी धरोहर-कविता सुमन-59-खुद अपनी आग में जलता रहा...

Started by Atul Kaviraje, February 09, 2023, 10:13:57 PM

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Atul Kaviraje

                                    "मेरी धरोहर"
                                  कविता सुमन-59
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "खुद अपनी आग में जलता रहा..."

                            "खुद अपनी आग में जलता रहा..."   
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जो ख़याल आया, तुम्हारी याद में ढलता रहा
दिल चराग़े-शाम बनकर सुबह तक जलता रहा

हम कहां रुकते सदियों का सफर दरपेश था
घंटियां बजती रही और कारवां चलता रहा

कितने लम्हों के पतंगे आए, आकर जल बुझे
मैं चराग़े-जिन्दगी था, ता-अबद जलता रहा

हुस्न की तबानियां मेरा मुकद्दर बन गई
चांद में चमका,कभी ख़ुरशीद में ढलता रहा

जाने क्या गुजरी कि फरजाने भी दीवने हुए
मैं तो श़ायर था,खुद अपनी आग में जलता रहा

दरपेशः समस्या सामने होना, ता-अबदः अनंत काल तक,
तबानियां: ज्योति, ख़ुरशीदः सूरज, फ़रजानेः बुद्धिमान
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--जमील मलिक
रावलपिण्डी, पाकिस्तान
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--yashoda Agrawal
(Sunday, December 01, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.02.2023-गुरुवार.
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