साहित्यशिल्पी-बस्तर के पेड़-पौधें देश में पर्यावरण प्रबंधन

Started by Atul Kaviraje, February 18, 2023, 10:43:09 PM

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Atul Kaviraje

                                    "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "बस्तर के पेड़-पौधें देश में पर्यावरण प्रबंधन"

बस्तर के पेड़-पौधें देश में पर्यावरण प्रबंधन [पर्यावरण दिवस पर विशेष आलेख]- शिवशंकर श्रीवास्तव--
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                  बस्तर का लकड़ी--

     बस्तर के जंगल से बाँस एवं तेन्दूपत्ता (बीड़ी बनाने के लिए) का उत्पादन अत्यधिक मात्रा में होता है, जिसे देश के प्रत्येक राज्यों में निर्यात किया जाता है। साल, सगौन, बीजा अन्य इमारती लकडियाँ यहीं से प्राप्त होती है। दरवाजा, पलंग, दीवान एवं अन्य काष्ठ कला के लिए उपयोगी लकड़ी माना जाता है। बस्तर का काष्ठ कला विश्व प्रसिद्व है, जो बस्तर आर्ट्स के नाम से जाना जाता है।

                बस्तर में विलुप्त होते पक्षियों की प्रजाति--

     बस्तर में विलुप्त होते पक्षियों की प्रजाति पर एक मनन है। इसे जलवायु कहें या जैव विविधता को रेखांकित करें। बस्तर के जंगलों में विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे पक्षी पाये जाते है, जो आकर्षक एवं सुंदर होते हैं। इनमें से कुछ निकटतम देश एवं राज्यों के प्रवासी पक्षी भी होते हैं, प्रत्येक सुनहरे मौसम में उड़ान संभवतः तय होती है, इसलिए पक्षियों का खास मौसम बसंत का है। बस्तर से कई प्रजाति विलुप्त हो चुकी है, कुछ कगार पर है। पक्षी गौरैया की हो या कबूतर की? कबूतर पक्षी के विभिन्न प्रजाति होंगे लेकिन प्रचलन में दो है। एक देशी कबूतर दूसरा जंगली कबूतर का नाम भी गुमनाम है। एक समय था जब बस्तर का कांगेर घाटी एशिया का प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व था, आज देश का राष्ट्रीय उद्यान है।

                  एक विदेशी प्रजाति का पुष्प--

     ब्रिटिश राज्य बस्तर स्वाधीनता संग्राम के पूर्व सन् 1885 में एक अंग्रेज अधिकारी ने विदेश से एक पौधा उद्यान में लगाने हेतु बस्तर लाया था। जिसे स्थानीय बस्तरवासी बेशर्म फूल के नाम से जानते है। यह एक ऐसा पौघा है, जिसकी पत्ती, फूल, बीज, रस, डाली से भी बिना पानी के पुष्पन रूप ले लेता है और सुसज्जित पौधा के रूप में तैयार हो जाता है। जिसका वानस्पितिक नाम-इपोमोआ कारनेआ (Ipomoea carnea) है। इसी वजह से यह पौधा-बेशर्म फूल धीरे-धीरे बस्तर क्षेत्र में पूरी तरह से अतिक्रमण कर चुका है। आप इसे झाड़ियों में देख सकते हैं। वानस्पितिक नाम-इपोमोआ कारनेआ (Ipomoea carnea) पौधा आज बस्तर ही नहीं पूरे भारत देश में पर्यावरण प्रबंधन की श्रेष्ठ भूमिका है जो पर्यावरण को संतुलन करने में विशेष योगदान है।

              बस्तर के पेड़-पौधे और उनके उपाये--

     वानस्पितिक नाम-इपोमोआ कारनेआ (Ipomoea carnea) पौधा पर्यावरण को सुरक्षित रखा है। उसी प्रकार बस्तर के पेड़ पौधों को देश के उद्यान, महत्वपूर्ण स्थल, शैक्षणिक संस्था, विश्व विद्यालय एवं बड़े शहरों के राजमार्गो में रोपित कर वातावरण को संतुलित किया जा सकता है। इससे प्रेरित हों क्योंकि उन्मुक्त जीवन के लिए संकल्प बहुमूल्य पर्यावरण प्रबंधन है। आईये एक पेड़ लगाएँ।

--शिवशंकर श्रीवास्तव
दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़)
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.02.2023-शनिवार.
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