भारत डिस्कव्हरी-अंग्रेज़

Started by Atul Kaviraje, February 27, 2023, 10:38:41 PM

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Atul Kaviraje

                                    "भारत डिस्कव्हरी"
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मित्रो,

     "भारत डिस्कव्हरी" विषया-अंतर्गत, आज पढेंगे "इतिहास-कोश" इस श्रेणी-अंतर्गत एक इतिहास लेख. इस लेख का शीर्षक है- अंग्रेज़.

                                       "अंग्रेज़"
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                 हॉकिन्स की जहाँगीर से भेंट--

     भारत में व्यापारिक कोठियाँ खोलने के प्रयास के अन्तर्गत ही ब्रिटेन के सम्राट जेम्स प्रथम ने 1608 ई. में कैप्टन हॉकिन्स को अपने राजदूत के रूप में मुग़ल सम्राट जहाँगीर के दरबार में भेजा। 1609 ई. में हॉकिन्स ने जहाँगीर से मिलकर सूरत में बसने की इजाजत माँगी, परन्तु पुर्तग़ालियों तथा सूरत के सौदाग़रों के विद्रोह के कारण उसे स्वीकृति नहीं मिली। हॉकिन्स फ़ारसी भाषा का बहुत अच्छा जानकार था। कैप्टन हॉकिन्स तीन वर्षों तक आगरा में रहा। जहाँगीर ने उससे प्रसन्न होकर उसे 400 का मनसब तथा जागीर प्रदान की। 1616 ई. में सम्राट जेम्स प्रथम ने सर टॉमस रो को अपना राजदूत बनाकर जहाँगीर के पास भेजा। टॉमस रो का एकमात्र उदेश्य था - 'व्यापारिक संधि करना'। यद्यपि उसका जहाँगीर से व्यापारिक समझौता नहीं हो सका, फिर भी उसे गुजरात के तत्कालीन सूबेदार 'ख़ुर्रम' (बाद में शाहजहाँ के नाम से प्रसिद्ध) से व्यापारिक कोठियों को खोलने के लिए फ़रमान प्राप्त हो गया।

               व्यापारिक कोठियों की स्थापना--

     टॉमस रो के भारत से वापस जाने से पूर्व सूरत, आगरा, अहमदाबाद, भड़ौंच में अंग्रेज़ों की व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कर ली गईं। 1611 ई. में दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट पर सर्वप्रथम अंग्रेज़ों ने 'मसुलीपट्टम' में व्यापारिक कोठी की स्थापना की। यहाँ से वस्त्र का निर्यात होता था। 1632 ई. में गोलकुण्डा के सुल्तान ने एक सुनहरा फ़रमान दिया, जिसके अनुसार 500 पगोड़ा सालाना कर देकर गोलकुण्डा राज्य के बन्दरगाहों से व्यापार करने की अनुमति मिल गयी। 1639 ई. में मद्रास में तथा 1651 ई. में हुगली में व्यापारिक कोठियाँ खोली गईं। 1661 ई. में इंग्लैण्ड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तग़ाल की राजकुमारी 'कैथरीन' से हुआ, तथा चार्ल्स द्वितीय को बम्बई दहेज के रूप में प्राप्त हुआ, जिसे उन्होंने 1668 ई. में दस पौण्ड वार्षिक किराये पर इसे ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दे दिया। पूर्वी भारत में अंग्रेज़ों ने अपना पहला कारख़ाना उड़ीसा में 1633 ई. में खोला। शीघ्र ही अंग्रेज़ों ने बंगाल, बिहार, पटना, बालासोर एवं ढाका में अपने कारखाने खोले। 1639 ई. में अंग्रेज़ों ने चंद्रगिरि के राजा से मद्रास को पट्टे पर लेकर कारखाने की स्थापना की तथा कारखाने की क़िलेबन्दी कर उसे 'फ़ोट सेंट जार्ज' का नाम दिया। 'फ़ोर्ट सेन्ट जार्ज' शीघ्र ही कोरोमण्डल समुद्र तट पर अंग्रेज़ों की बस्तियों के मुख्यालय के रूप में मसुलीपट्टम से आगे निकल गया।

                   व्यापार कर में छूट--

     1651 ई. में बंगाल में सर्वप्रथम अंग्रेज़ों को व्यापारिक छूट प्राप्त हुई, जब 'ग्रेवियन वांटन', जो बंगाल के सूबेदार शहज़ादा शाहशुजा के साथ दरबारी चिकित्सक के रूप में रहता था, कम्पनी के लिए एक फ़रमान प्राप्त करने में सफल हुआ। इस फ़रमान से कम्पनी को 3000 रुपये वार्षिक कर के बदले बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में मुक्त व्यापार करने की अनुमति मिल गयी। शहज़ादा शाहशुजा की अनुमति से अंग्रेज़ों ने बंगाल में अपनी प्रथम कोठी 1651 ई. में हुगली में स्थापित की। 'ब्रिजमैन' को 1651 ई. में हुगली में स्थापित अंग्रेज़ों की फ़ैक्ट्री का प्रधान नियुक्त किया गया। हुगली के बाद अंग्रेज़ों ने कासिम बाज़ार, पटना और राजमहल में अपने कारखाने खोले। 1656 ई. में दूसरा फ़रमान मंजूर किया गया। इसी प्रकार कम्पनी ने 1672 ई. में शाइस्ता ख़ाँ से तथा 1680 में औरंगज़ेब से व्यापारिक रियायतों के संबंध में फ़रमान प्राप्त किया।

--भारत डिस्कव्हरी
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-भारत डिस्कव्हरी.org)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.02.2023-सोमवार. 
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