ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन-तेरा वैभव अमर रहे माँ हम दिन चार रहें न रहें....

Started by Atul Kaviraje, March 02, 2023, 10:31:06 PM

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Atul Kaviraje

                             "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन" इस ब्लॉग के अंतर्गत, एक लेख/कविता.

       तेरा वैभव अमर रहे माँ हम दिन चार रहें न रहें.... राजीव भाई को श्रधांजलि--
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     भाई राजीव दीक्षित जी के नाम स्वदेशी और आजादी बचाओ आन्दोलन से हम सभी परिचित हैं..

     एक अमर हुतात्मा, जिसने अपना पूरा जीवन मातृभाषा मातृभूमि को समर्पित कर दिया..आज उनका जन्मदिवस और पहली पुण्यतिथि भी है..आज ही के दिन ये अमर देशभक्त हमारे बिच आया था और पिछले साल हमारे बिच से आज ही के दिन राजीव भाई चले गए..अगर राजीव भाई के प्रारम्भिक जीवन में झांके तो जैसा की हम सब जानते हैं ,राजीव भाई एक मेधावी छात्र एवं वैज्ञानिक भी थे..आज के इस भौतिकतावादी दौर में जब इस देश के युवा तात्क्षणिक हितों एवं भौतिकवादी साधनों के पीछे भाग रहा है, राजीव भाई ने राष्ट्र स्वाभिमान एवं स्वदेशी की परिकल्पना की नीव रखने के लिए अपने सम्पूर्ण जीवन को राष्ट्र के लिए समर्पित कर त्याग एवं राष्ट्रप्रेम का एक अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किया..सार्वजनिक जीवन में आजादी बचाओ आन्दोलन से सक्रीय हुए राजीव भाई ने स्वदेशी की अवधारणा एवं इसकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता को को आन्दोलन का आधार बनाया..

     स्वदेशी शब्द हिंदी के " स्व" और "देशी" से मिलकर बना है."स्व" का अर्थ है अपना और "देशी" का अर्थ है जो देश का हो.. मतलब स्वदेशी वो है "जो अपने देश का हो अपने देश के लिए हो" इसी मूलमंत्र को आगे बढ़ाते हुए राजीव भाई ने लगभग २० वर्षों तक अपने विचारो,प्रयोगों एवं व्याख्यानों से एक बौद्धिक जनजागरण एवं जनमत बनाने का सफल प्रयास किया, जिसके फलस्वरूप हिन्दुस्थान एवं यहाँ के लोगो ने अपने खुद की संस्कृति की उत्कृष्ठता एवं वैज्ञानिक प्रमाणिकता को समझा और वर्षों से चली आ रही संकुचित गुलाम मानसिकता को छोड़ अपने विचारों एवं स्वदेशी पर आधारित तार्किक एवं वैज्ञानिक व्यवस्था को अपनाने का प्रयास किया..

     वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के प्रबल विरोधी राजीव भाई ने अंग्रेजो के ज़माने से चली आ रही क्रूर कानून व्यवस्था से लेकर टैक्स पद्धति में बदलाव के लिए गंभीर प्रयास किये..अगर एक ऐसा क्षेत्र लें जो लाल बहादुर शास्त्री जी के के बाद सर्वदा हिन्दुस्थान में उपेक्षित रहा तो वो है "गाय,गांव और कृषि " इस विषय पर राजीव भाई के ढेरो शोध और प्रायोगिक अनुसन्धान सर्वदा प्रासंगिक रहे हैं..वैश्वीकरण एवं उदारीकरण की आड़ में पेप्सी कोला जैसी हजारों बहुराष्ट्रीय कंपनियों को, खुली लूट की छूट देने वाले लाल किले दलालों के खिलाफ राजीव भाई की निर्भीक,ओजस्वी वाणी इस औद्योगिक सामाजिक मानसिक एवं आर्थिक रूप से गुलाम भारत को इन बेड़ियों से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त करती थी..मगर सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन की राह और अंतिम अभीष्ट सर्वदा विरोधों और दमन के झंझावातों से हो कर ही मिलता है..व्यवस्था परिवर्तन की क्रांति को आगे बढ़ाने में राजीव भाई को सत्ता पक्ष से लेकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का कई बार टकराव झेलना पड़ना और इसी क्रम में यूरोप और पश्चिम पोषित कई राजनीतिक दल और कंपनिया उनकी कट्टर विरोधी हो गयी..

     अगर हम भारत के स्वर्णिम इतिहास के महापुरुषों की और नजर डाले तो राजीव भाई और विवेकानंद को काफी पास पाएंगे..जिस प्रकार विवेकनन्द जी ने गुलाम भारत में रहते हुए यहाँ की संस्कृति धर्म और परम्पराओं का लोहा पुरे विश्व के सामने उस समय मनवाया जब भारत के इतिहास या उससे सम्बंधित किसी भी परम्परा को गौण करके देखा जाता था, उसी प्रकार राजीव भाई ने अपने तर्कों एवं व्याख्यानों से भारतीय एवं स्वदेशी संस्कृति ,धर्म , कृषि या शिक्षा पद्धति हर क्षेत्र में स्वदेशी और भारतीयता की महत्ता और प्रभुत्व को पुनर्स्थापित करने का कार्य उस समय करने का संकल्प लिया जब भारत में भारतीयता के विचार को ख़तम करने का बिदेशी षड्यंत्र अपने चरम पर चल रहा था..काल चक्र अनवरत चलने के साथ साथ कभी कभी धैर्य परीक्षा की पराकाष्ठा करते हुए हमारे प्रति क्रूर हो जाता है..कुछ ऐसा ही हुआ और इसे देशद्रोही विरोधियों का षड्यंत्र कहें या नियति का विधान राजीव भाई हमारे बिच से चले गए..मगर स्वामी विवेकानंद जी की तरह अल्पायु होने के बाद भी राजीव भाई ने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन के उन उच्च आदर्शों को स्थापित किया जिनपर चलकर मानवता धर्म देशभक्ति एवं समाज के पुनर्निर्माण की नीव रक्खी जानी है..

--आशुतोष नाथ तिवारी
(बुधवार, 30 नवंबर 2011)
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   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-allindiabloggersassociation.blogspot.com)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.03.2023-गुरुवार.
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