मेरी धरोहर-कविता सुमन-84-दूर की रौशनी नज़दीक आने से रही...

Started by Atul Kaviraje, March 06, 2023, 10:30:11 PM

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Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-84
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "दूर की रौशनी नज़दीक आने से रही"

                           "दूर की रौशनी नज़दीक आने से रही..."   
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दिन सलीके से उगा रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ दिन ज़माने से रही

चंद लम्हों को ही बनती हैं मुसाविर आँखें
ज़िन्दगी रोज तस्वीर बनाने से रही

इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शमा जलाने से रही

फासला चाँद बना देता है पत्थर को
दूर की रौशनी नज़दीक आने से रही

शहर में सब को कहाँ मिलती है रोने की फुर्सत
अपनी इज्ज़त भी यहाँ हंसने-हंसाने से रही..

--निदा फ़ाज़ली
मशहूर श़ाय़र और नग़मा निगार
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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--yashoda Agrawal
(Wednesday, October 09, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.03.2023-सोमवार.
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