मेरी धरोहर-कविता सुमन-90-जीने वालों तुम्हें हुआ क्या है...

Started by Atul Kaviraje, March 12, 2023, 10:25:45 PM

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Atul Kaviraje


                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-90
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "जीने वालों तुम्हें हुआ क्या है..."

                             "जीने वालों तुम्हें हुआ क्या है..."   
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किसको देखा है ये हुआ क्या है,
दिल धड़कता है माज़रा क्या है.

इक मुहब्बत थी मिट चुकी या रब
तेरी दुनिया में अब धरा क्या है

दिल में लेता है चुटकियां कोई
है इस दर्द की दवा क्या है

हूरें नेकों में बता चुकी होंगी,
बाग़-ए-रिज़वां में अब रखा क्या है

उसके अहद-ए-शबाब में जीना
जीने वालों तुम्हें हुआ क्या है

अब दुआ कैसी है दुआ का वक़्त
तेरे बीमार में रहा क्या है

याद आता है लखनउ 'अख्तर'
ख़ुल्द हो आएँ तो बुरा क्या है

--"अख्तर"शीरानी
उर्दू के शायर,
असली नामः मो. दाऊद खान
टोंक, राजस्थान
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--yashoda Agrawal
(Monday, September 30, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.03.2023-रविवार.
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