मेरी धरोहर-कविता सुमन-91-मेरे सीने पे अलाव ही लगाकर देखो...

Started by Atul Kaviraje, March 13, 2023, 10:26:09 PM

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Atul Kaviraje

                                     "मेरी धरोहर"
                                   कविता सुमन-91
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "मेरे सीने पे अलाव ही लगाकर देखो"

                           "मेरे सीने पे अलाव ही लगाकर देखो..."   
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किस क़दर सर्द है यह रात-अंधेरे ने कहा
मेरे दुशमन तो हज़ारों हैं - कोई तो बोले

चांद की क़ाश भी तहलील हुई शाम के साथ
और सितारे तो संभलने भी न पाए थे अभी

कि घटा आई, उमड़ते हुए गेसू खोले
वह जो आई थी तो टूटके बरसी होती

मगर एक बूंद भी टपकी न मेरे दामन पर
सिर्फ़ यख़-बस्ता हवाओं के नुकीले झोंके

मेरे सीने में उतरते रहे, खंजर बनकर
कोई आवाज नहीं- कोई भी आवाज नहीं

चार जानिब से सिमटता हुआ सन्नाटा है
मैंनें किस कर्ब से इस शब का सफ़र काटा है

दुशमनों! तुमको मेरे जब्रे-मुसलसल की कसम
मेरे दिल पर कोई घाव ही लगाकर देखो

वह अदावत ही सही, तुमसे मगर रब्त तो है
मेरे सीने पे अलाव ही लगाकर देखो

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चांद की क़ाशः टुकड़ा, तहलीलः घुलना, यख़-बस्ताःबहुत ठण्डी
जानिबः ओर, कर्बः दुख, जब्रे-मुसलसलः निरंतर अत्याचार
अदावतः दुश्मनी, रब्तः लगाव
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(यह रचना मुझे दैनिक भास्कर के रसरंग पृष्ट से प्राप्त हुई)
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--अहमद नदीम क़ासमी
मशहूर पाकिस्तानी श़ायर और साहित्यकार
जन्मः सरगोधा
मृत्युः लाहोर
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--yashoda Agrawal
(Monday, September 30, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.03.2023-सोमवार.
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