निबंध-क्रमांक-196-स्वावलंबन का महत्व पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, March 13, 2023, 10:28:22 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-196
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " स्वावलंबन का महत्व पर निबंध"

                              स्वावलंबन का महत्व पर निबंध--
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           स्वावलम्बी होने के फायदे (Swavalamban ke fayde)–

आत्मविश्वास बढ़ता है – स्वावलम्बन से हमारे अंदर कई गुना आत्मविश्वास बढ़ता है. दुनिया के सामने खड़े होने की हिम्मत बढ़ती है, किसी भी परेशानी को देख मन घबराता नहीं है, बल्कि गहरे विश्वास के सहारे हम हर मुसीबत का डट कर सामना कर पाते है.
जीवन के फैसले खुद ले सकता है – सच ही कहा है, जीवन किसी जंग से कम नहीं है. हर रोज यहाँ हमें मानसिक व शारीरिक तनाव वाले युद्ध का सामना करना पड़ता है. हमारे सामने कई बार ऐसी बातें सामने आ जाती है, कि हमें बड़े से बड़े फैसले खुद लेने पड़ते है, वो भी कम समय पर. अगर हम स्वावलम्बी नहीं होंगें तो हर बार हम जीवन के इन फैसलों को लेने के लिए दूसरों का दरवाजा खटखटाएंगें. जीवन में हमें दोस्त, जीवनसाथी, भाई-बहन, माँ बाप तो मिलते है, जिनसे हम जब चाहें मदद ले सकते है, लेकिन जीवन का कोई भरोसा नहीं होता है, ये कब तक आपके साथ है, आप नहीं जानते है. तो इससे बेहतर है, आपको इस काबिल होना चाहिए कि खुद फैसले ले सकें. हम अपना अच्छा बुरा खुद समझेंगें, साथ ही अपने परिवारों की भलाई को समझ कर काम करेंगें.

कर्तव्य निष्ठ होता है – स्वावलम्बी इन्सान अपने कर्तव्य को भली भांति जानता है, जीवन के किसी भी मोड़ पर वह अपने कर्तव्य से नहीं भागेगा. अपने कर्तव्य को वो रिश्तों से भी ज्यादा तवच्चो देता है.

मन प्रसन्न रहता है – स्वावलम्बी के जीवन में सुख सुविधा हो न हो, लेकिन उसके मन में शांति जरुर रहती है. उसे पता होता है, उसके जीवन में जो कुछ भी है, वह उसी की मेहनत का फल है, अपने जीवन के लिए वो किसी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराता है. स्वावलम्बी अपने जीवन के दुखों में भी सुख का एहसास करता है. वह हमेशा समझदारी से काम करता है.

समाज व देश का विकास होता है – देश व समाज के विकास के लिए, स्वावलम्बी होना मुख्य बात है. स्वावलम्बी न होने पर हम किसी के पराधीन होते है, हम स्वतंत्र होकर कोई भी काम नहीं पाते है. देश की आजादी के पहले ऐसा ही था, भारत देश ब्रिटिश सरकार के अधीन था, वे उन्हें स्वावलम्बी बनने ही देना चाहती थी. क्यूंकि ब्रिटिश सरकार को पता था, अगर देश की जनता स्वावलम्बी हो जाएगी तो उनकी कोई नहीं सुनेगा. आज भारत देश की जनता स्वावलम्बी है, इसलिए देश तेजी से विकास कर रहा है. हमारा समूचे दुनिया में नाम है. स्वावलम्बी मनुष्य को ही आज के समय में सम्मान दिया जाता है. मनुष्य को सिर्फ अपनी आत्मनिर्भरता के बारे में नहीं सोचना चाइये. हम सब इस देश, समाज के अभिन्न अंग है, हमें इसे आगे बढ़ाने के लिए साथ में काम करना होगा. स्वावलम्बन को अपने तक सिमित न रखें, इसे समूचे देश के विकास का हिस्सा बनायें.

बड़ा आदमी बनाता – आज जो देश विदेश के बड़े-बड़े अमीर, कामयाब इन्सान है, उन्होंने ने भी स्वावलम्बन का हाथ थामा. जब इन लोगों ने अपने काम की शुरुवात की, तब इनके पास अपनी मेहनत, लगन थी, जिसके सहारे ये लोग अपने आप को कामयाब बना पायें है. ये बड़े बड़े आदमी आज हजारों को स्वावलम्बी बना रहें है. इनकी सफलता की पहली सीढी थी परिश्रम.

औरतें आत्मनिर्भर होती है – आज के समय में महिलाओं को सशक्त बनाने की बात कही जाती है. अब पहले जैसा नहीं रह गया है कि घर के लड़कों को ही शिक्षा दी जाये, उन्हें ही घर से बाहर काम करने की इजाज़त है. आज समय बदल चूका है, लड़कियां, महिलाएं बाकि लोगों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर रही है. ऐसा कोई काम या क्षेत्र नहीं है, जहाँ लड़कियों से अपना लोहा नहीं मनवाया है. महिलाएं शादी के बाद अपने घर, बच्चे व ऑफिस का काम बखूबी संभाल लेती है. महिलाओं के स्वावलम्बी होने से उनमें आत्मविश्वास तो आता ही है, इसके साथ ही वे जीवन की हर लड़ाई से लड़ने के लिए तैयार भी होती है. कब कैसी समस्यांए आ जाये, हम नहीं जानते. महिलाओं पर पुरे परिवार की ज़िम्मेदारी होती है, धन संबंधी समस्या आने पर स्वावलम्बी औरतें अपने दम पर इसे हल कर लेती है.

--Anubhuti
(February 25, 2023)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन/निबंध-एसे-हिंदी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.03.2023-सोमवार.
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