साहित्यशिल्पी-होली महोत्सव [इतिहास व आलेख]

Started by Atul Kaviraje, March 13, 2023, 10:34:30 PM

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Atul Kaviraje

                                     "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "होली महोत्सव [इतिहास व आलेख]"

                होली महोत्सव [इतिहास व आलेख]- डॉ अ कीर्तिवर्धन--
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यज्ञ मधुसुदन में कहा गया है --

एतत्पुष्प कफं पितं कुष्ठं दाहं तृषामपि ।
वातं स्वेदं रक्तदोषं मूत्रकृच्छं च नाशयेत ।।

अर्थात ढाक के फूल कुष्ठ ,दाह ,वायु रोग तथा मूत्र कृच्छादी रोगों की महा औषधी है ।

     दोपहर तक होली खेलने के पश्चात स्नानादि से निवृत होकर नए वस्त्र धारण कर होली मिलन का भी विशेष महत्त्व है । इस अवसर पर अमीर -गरीब, छोटे-बड़े, उंच-नीच , का कोई भेद नहीं माना जाता है यानी सामजिक समरसता का प्रतीक बन जाता है होली का यह त्यौहार ।

     शरद और ग्रीष्म ऋतू के संधिकाल पर आयोजित होली पर्व का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक आधार है । जैसा की ऊपर वर्णित किया गया है कि हमारे सभी पर्व -त्यौहार विज्ञान की कसौटी पर खरे-परखे है । बस आवश्यकता है उसकी मूल भावना को समझने की । वर्तमान समय में होली पर्व भी बाजारवाद की भेंट चढ़ता जा रहा है । विभिन्न रासायनिक रंगों के प्रयोग ने लाभ के स्थान पर स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने का प्रयास किया है । कुछ व्यक्तियों द्वारा होली के हुडदंग में शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करके वातावरण खराब करने का प्रयास किया जाता है । जो पर्व आपसी भाई-चारे एवं वर्ष भर के मतभेदों को भुलाकर एक होने का है ,उस पर किसी प्रकार की रंजिश पैदा करना होली की भावना के विपरीत है ।

गुलाल में कुछ रंग इंसानियत के मिलाएं ,
उसे समाज के बदनुमा चहरे पर लगाएं ,
हर गैर में भी "कीर्ति" अपनापन नजर आयेगा
होली फिर से राष्ट्र प्रेम का त्यौहार बन जाएगा ।

और अंत में -होली के इस पवित्र अवसर पर अपने सभी देश वासियों के लिए एक

विनम्र सन्देश :----

खून की होली मत खेलो , प्यार के रंग में रंग जाओ ,
जात-पात के रंग ना घोलो , मानवता में रंग जाओ ।

भूख -गरीबी का दहन करो , भाई-चारे में रंग जाओ,
अहंकार की होली जलाकर , विनम्रता में रंग जाओ ।

ऊँच-नीच का भेद ख़त्म कर, आज गले से मिल जाओ ,
होली पर्व का यही सन्देश, देश प्रेम में "कीर्ति" रंग जाओ ।

--डॉ अ कीर्तिवर्धन
मुज़फ्फरनगर-उत्तर प्रदेश
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.03.2023-सोमवार.
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