मेरी धरोहर-कविता सुमन-92-ये गली सूनी पड़ी है घर चलो...

Started by Atul Kaviraje, March 14, 2023, 10:30:02 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-92
                                   ---------------- 

मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "ये गली सूनी पड़ी है घर चलो"

                             "ये गली सूनी पड़ी है घर चलो..."   
                            ------------------------------

रात की बस्ती बसी है घर चलो
तीरगी ही तीरगी है घर चलो

क्या भरोसा कोई पत्थर आ लगे
जिस्म पे शीशागरी है घर चलो

हू-ब-हू बेवा की उजड़ी मांग सी
ये गली सूनी पड़ी है घर चलो

तू ने जो बस्ती में भेजी थी सदा
लाश उसकी ये पड़ी है घर चलो

क्या करोगे सामना हालत का
जान तो अटकी हुई है घर चलो

कल की छोड़ो कल यहाँ पे अम्न था
अब फ़िज़ा बिगड़ी हुई है घर चलो

तुम ख़ुदा तो हो नहीं इन्सान हो
फ़िक्र क्यूँ सबकी लगी है घर चलो

माँ अभी शायद हो "फ़ानी" जागती
घर की बत्ती जल रही है घर चलो

--फ़ानी जोधपुरी 
सौजन्यः सतपाल ख्याल
--------------------
--yashoda Agrawal
(Sunday, September 29, 2013)
-----------------------------------

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                   -----------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.03.2023-मंगळवार.
=========================================