निबंध-क्रमांक-197-स्वावलंबन का महत्व पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, March 14, 2023, 10:32:13 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-197
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " स्वावलंबन का महत्व पर निबंध"

                              स्वावलंबन का महत्व पर निबंध--
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          स्वावलम्बी होने के दुष्प्रभाव ( Swavalamban Nuksaan)--

समाज की हीन भावना का शिकार – आज के समय में जो अपने पैरों पर नहीं खड़ा, स्वावलम्बी नहीं है, उसे समाज हीन भावना से देखता है. समाज के अनुसार ऐसे व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं, चाहे वह लड़का हो या लड़की, समाज स्वावलम्बी को ही सम्मान देना जानता है. समाज के अलावा घर पर भी कई बार उसे नजरंदाज किया जाता है. घर के महत्वपूर्ण फैसलों के समय भी उससे सलाह मशवरा लेना जरुरी नहीं समझा जाता है.

आत्मसम्मान खो बैठते है – दुनिया में इज्जत, सम्मान हर कोई चाहता है. लेकिन अगर हमारे आसपास ये हमको नहीं मिलता है, तो हमारे अंदर के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है. जो स्वावलम्बी नहीं होता है, उसे दूसरों पर निर्भर बताकर कई बार उसके आत्मसम्मान को मारा जाता है. कई बार ऐसे समय में व्यक्ति अपना आपा खो बैठता है, और आत्महत्या जैसी बातों की ओर सोचने लगता है.

     एक शिक्षित, पढा लिखा व्यक्ति ही स्वावलम्बी होता है, ऐसा जरुरी नहीं है. आज के समय में कई ऐसे लोग है, जो पढ़े लिखे नहीं है, या कम शिक्षा प्राप्त की है, इसके बावजूद वे स्वावलम्बी है. स्वावलम्बन को शिक्षा से जोड़ना गलत है. हमारे देश के किसान पढ़े लिखे नहीं है लेकिन स्वावलम्बी है. शिक्षा जीवन के लिए बहुत जरुरी है, शिक्षा से हमारे जीवन में तेजी से विकास होता है, हमारी व देश की विचारधारा शिक्षा के द्वारा ही बदलती है. देश का मजदुर वर्ग, जो कोई छोटा से छोटा काम करता है, वह स्वावलम्बी है. स्वावलम्बी मनुष्य को धनी मनुष्य माना जाता है.

--Anubhuti
(February 25, 2023)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन/निबंध-एसे-हिंदी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.03.2023-मंगळवार.
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