II श्री रामनवमी II-कविता-1

Started by Atul Kaviraje, March 30, 2023, 11:36:28 AM

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Atul Kaviraje

                                    II श्री रामनवमी II
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मित्रो,

     आज दिनांक-३०.०३.२०२३-गुरुवार है. आज "श्री राम नवमी" है. यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है. हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको राम-नवमी की हार्दिक बधाईया. आईए, पढते है, राम नवमीकी कुछ कविताये-रचनाये. 

     हिन्दुओं के लिए भगवान (Lord) श्रीराम शौर्य, मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं. राम केवल हिन्दुओं के ही नहीं बल्कि समस्त भारत के है उन पर सभी का हक है तथा वे सभी के पूर्वज हैं. हमें उनके आदर्श जीवन कदमों पर चलने का प्रयत्न करना चाहिए. आज हम राम नवमी , राम मंदिर, राम भक्ति पर कविता बता रहे हैं. यह हिंदी कविता डॉ सुनील जोगी जी द्वारा रचित मौलिक रचना हैं.

     सनातन संस्कृति में स्व की बजाय पर को अधिक महत्व दिया गया हैं. इस संस्कृति में महान पुरुष भगवान् श्री राम का आदर्श व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरक हैं.

     प्रत्येक भारतीय फक्र से कहता है कि वह श्रीराम का वंशज है मगर आज का दौर जब लोग अपने पुरखों को भूल रहे है तथा राम के होने पर सवाल करते हैं. जोगी की यह राम गीत कविता उन सभी लोगों के लिए जवाब है जिसका शीर्षक है राम का नहीं वो किसी काम का नहीं,

     आप भी यह कविता पढ़े तथा लुफ्त उठाएं. यदि आप भी हनुमान की भांति सच्चे राम जी के भक्त है तथा अपने ह्रदय में राम सीता की तस्वीर रखते है तो अन्य भक्तों तक भी यह कविता पहुचाएं. चलिए हम इस ओज कविता को पढ़ना आरम्भ करते हैं.

              राम का नहीं वो किसी काम का नहीं--

राम सांस सांस में समाए हुए है
भारत की आत्मा में छाए हुए है
संकटों में खूब आजमाए हुए है
राम जी देश को बचाए हुए है
सुबह का नहीं है जो वो शाम का नहीं
राम का नहीं वो किसी काम का नहीं.

राम प्रतिमा नहीं है प्रतिमान है
नभ में चमकते हुए दिनमान है
वाल्मीकि तुलसी का वरदान है
एक आदर्श है वो भगवान है
राम आस्था है, कोई नारा नहीं है
राम गंगाजल है अंगारा नहीं है
चलते फिरते रोज यही काम कीजिए
जो भी मिले उसको राम राम कीजिए
बेशकीमती भी किसी दाम का नहीं
राम का नहीं वो किसी काम का नहीं.

पथराई अहिल्या को तारा राम ने
अत्याचारी असुरों को मारा राम ने
सुग्रीव की राह में भी राम मिलेगे
राम जी तिजोरी में कुबेरों में नही
शबरी के बेरों में भी राम मिलेगे
राम दशरथ की पुकार में मिले
केवट के संग मझधार में मिले
राम भक्ति भाव से ही जीने में मिले
राम हनुमान जी के सीने में मिले
राजा का है किस्सा गुलाम का नहीं
राम का नहीं वो किसी काम का नहीं.

एक पत्नी का व्रत धारा राम ने
रावण से दुष्ट को भी तारा राम ने
वचन पिता का निभाया राम ने
जो भी मिला गले से लगाया राम ने

राम कोल भीलों में किरात में मिले
राम सुग्रीव वाले साथ में मिले
राम पाने के लिए धन न चाहिए
राम को समझ ले वो मन चाहिए
पूण्य गंगा स्नान चार धाम का नहीं
राम का नहीं वो किसी काम का नहीं.

पुण्य जिन्हें करना था पाप कर रहे
जीवन का वरदान शाप कर रहे
साँस का भी अपनी पता नहीं जिन्हें
देखों राम का हिसाब कर रहे है
राम को न जाने ऐसा नर ना मिला
उन्ही राम जी को यहाँ घर न मिला

राम सिया दूजी कोई युक्ति नहीं है
राम नाम सत्य बिना मुक्ति नहीं है
जागता प्रमाण है ये नाम का नहीं
राम का नहीं तो किसी काम का नहीं.

                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हि हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.03.2023-गुरुवार.
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