II रमजान ईद II-लेख

Started by Atul Kaviraje, April 22, 2023, 07:20:27 PM

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Atul Kaviraje

                                    II रमजान ईद II
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मित्रो,

     आज दिनांक-२२.०४.२०२३-शनिवार है. आज "रमजान ईद" है. यह रमजान के पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है। 30 दिनों के उपवास या रोजा रखने के बाद, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान के 10वें शव्वल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। यह उस महीने के बाद पहला दिन होता है, जब मुसलमान उपवास या रोजा नहीं रखते हैं और ईद का त्योहार हर्सोल्लास के साथ मनाते हैं। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई-बहन कवी-कवियित्रीयोको रमजान ईद की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है रमजान ईद पर एक महत्त्वपूर्ण लेख.

                 ईद-अल-फितर की भूमिका--

     ईद-अल-फितर मुस्लिम समाज का एक परम पाक सर्वश्रेष्ठ महापर्व है। इसका संक्षिप्त संस्करण ईद, हैं, ईद शब्द का शाब्दिक अर्थ है आनन्द, खूशी हर्षोल्लास आह्लाद एवं परमानंद। भावार्थ यह कि ईद मानव मन के परमानंद, प्रेम, सौहार्द बंधुत्व का परम प्रतीक है। अर्थात इंसान का हार्दिक आह्लाद ही तो परवर दिगार परमात्मा का परम ज्वलंत स्वरूप है। यह भाव मानव मन को समन्वित करके एकता के सूत्र में बद्धित करता है। विविधता में एकता हमारी राष्ट्रीयता, भारतीयता की परम पहचान है, हमें इसे खंडित नहीं होने देना चाहिए। हर समाज सम्प्रदाय में कुछ विवेक हीन अनपद अशिक्षित प्राणी होते हैं जो नफरत घृणा की राजनीति करते है और इंसानियत को खंडित करने का प्रयत्न करते है। ऎसे असमाजिक तत्वों पर रोक लगाना परमावश्यक है। ईद तो आत्मा के आनन्द का प्रतीक है। इस लिए हम कुछ ऐसा करें कि सबके रूह को सकून मिले।

                  ईद मनाने का प्रारूप--

     हर पर्व की भांति इद मनाने का भी अपना एक खास अन्दाज, तौर तरीका, रीति-रिवाज एवं प्रचलन प्रथा है। रमजान महीना का पाक वक्त तप, संयम एवं उपवास के साथ व्यतीत हो जाता है। इस महीने के अन्तर्गत लोग अपने रूहों को पाक साफ बनाने का प्रयत्न करते है। लम्बे तीस दिनों की प्रतीक्षा के पश्चात खुशनुमा ईद का प्रादुर्भाव होता है। सबके मुखमंडल आनन्द की अनुभूति से मुस्कुरा उठते है। इस दिन लोग सुबह उठकर प्रात स्नान करते है तत्पश्चात शुभ्र श्वेत परमोज्वल वस्त्र धारण कर खूदा की बन्दगी हेतु मस्जिदो की और निकल पडते है। वहाँ जाकर ईद की नमाज पढ़ते हैं। इस सामूहिक नमाज का दृश्य कितना मन-भावन होता है, यह वर्णनातीत है। महान् कथाकार प्रेमचन्द की कहानी ईदगाह की पृष्ठभूमि नेत्रों के समक्ष धुम जाती है। हजारों लोग कतार में खड़े है। सजदे की खातीर हजारों सर एक साथ झुक जाते है। कितना अनुशासन है। अनुशासित ढंग से लोग खुदा की बंदगी करते है। नमाज के पश्चात लोग मेला देखने जाते है। घर में दावतों का आयोजन होता है। हम अपने बंधु बांधवों, और मित्रों को आमंत्रित करते है।

                ईद अल फितरश् का इतिहास--

     इस पर्व का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। लोकोक्तियां के अनुसार जब पैगम्बर साहब जंग-ए-बदर जीत कर आए तो पहली बार इस पर्व का आयोजन किया गया। लोग मान्यता है कि मुसलमानों ने पैगम्बर साहब के नेतृत्व में इस भीषण युद्ध को जीता था और इसी विनयोत्सव को मनाने हेतु पैगम्बर साहब ने अल्लाह की बंदगी की थी, उनका शुक्रिया अदा किया था। तब से रमजान महीने के पश्चात पहली चाँद देखकर इस पर्व का आयोजन किया जाने लगा! इस तरह प्रत्येक वर्ष ईद का त्योहार मनाने का प्रचलन चल पड़ा।

                     उपसंहार--

     ईद-अल-फितरश् एक अत्यन्त लोकप्रिय पर्व है जिसे मुसलमान अत्यन्त श्रद्वा, प्रेम और भक्ति में मनाते हैं। लेकिन अन्य सम्प्रदाय के लोग भी इस पर्व में सम्मिलित होते हैं और मिलकर इस पर्व का आयोजन करते हैं। सह पर्व समन्वय, एकता, प्रेम और आनन्द का संदेश देता है। इसलिए यह पर्व प्रशंसनीय, वंदनीय एवं श्लाघनीय है ।

                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी मराठी sms.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.04.2023-शनिवार.
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