बुद्ध पूर्णिमा-बन कर नए सूत्र धार-कविता-3

Started by Atul Kaviraje, May 05, 2023, 10:43:43 AM

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Atul Kaviraje

                                     "बुद्ध पूर्णिमा"
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मित्रो,

     आज दिनांक-०५.०५.२०२३-शुक्रवार है. आज "बुद्ध पौर्णिमा" है. हिंदू धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर महीने का आखिरी दिन होता है. अभी वैशाख महीना चल रहा है. 5 मई 2023 को वैशाख पूर्णिमा है, इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इसे बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती भी कहते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको  बुद्ध पूर्णिमा की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है भगवान बुद्ध की कुछ कविताये-रचनाये.

अविष्कार हुई बुद्ध वाणी भूमध्य सागर के उस पार,
दूर समुन्दर के विस्तृत दृष्टि में, बुद्ध
दर्शन बन गया दिव्य शक्ति का आधार..
बुद्ध पूर्णिमा दिखाया जग को एक नए दिशा,
हिंसा मुक्त पृथ्वी में हुया अविष्कार रचनात्मक गुणों का आधार.
उज्जवलित हुई बुद्ध वाणी कितने ही देशो के मिट्टी में हर बार।
एक सूत्र में गाथI भिन्न देशो के कई मझहबो को,
बुद्ध दर्शन गुथा गया पुष्प माला में, हिंसा मुक्त, दया भाव पृथ्वी पर
एक सूत्र धार.
बुद्ध पूर्णिमा हुया चारो ओर प्रकाशमय,
गूंज उठी हर दिशा में एक सामान।
जन जागरण आया इस धरा में,
बन कर नए सूत्र धार

मेरे महाभिनिष्क्रमण की ताकत
मेरे पिता नहीं थे
उन्होंने तो मेरे उद्विग्न मन को
बाँधने का प्रयास किया
निःसंदेह ..... एक पिता के रूप में
उनके कदम सराहनीय थे
पर यशोधरा के उत्तरदायी बने !
मैं जीवन की गुत्थियों में उलझा था
मैं प्रेम को क्या समझता
मेरी छटपटाहट में तो दो रिश्ते और जुड़ गए ...
यशोधरा मौन मेरी व्याकुलता की सहचरी बनी !
मैं बनना चाहता था प्रत्युत्तर – राहुल की अबोध मुस्कान का
पर दर्द के चक्रव्यूह में
मैं मोह से परे रहा ....
मैं जानता हूँ
यशोधरा , राहुल मेरी ज़िम्मेदारी थे
पर मैं विवश था ....
मेरे इन विवश करवटों को यशोधरा ने जाना
और मेरी खोज की दिशा में
वह उदगम बनी
सारे बन्द रास्ते खोल दिए

मैं तो रोया भी
पर उसकी आँखें दुआएं बन गईं
उस वक़्त
मुझमें और राहुल में
कोई फर्क नहीं रहा .....
वह पत्नी से माँ बन गई
और उसके आँचल की छाँव में मैं
सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध हुआ .....
दुनिया चाहे मुझे जिस उंचाई पर ले जाए
करोड़ों अनुयायी हों
पर मैं बुद्ध
इसे स्वीकार करता हूँ –
निर्वाण यज्ञ में
यशोधरा तू मेरी ताकत रही
दुनिया कुछ भी कहे
सच तो यही है,
यदि यशोधरा न होती
तो मैं सिद्धार्थ ही होता...

                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी गाईड्स.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.05.2023-शुक्रवार.
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