बकरी ईद-लेख-2

Started by Atul Kaviraje, June 29, 2023, 05:23:54 PM

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Atul Kaviraje


                                      "बकरी ईद"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०६.२०२३-गुरुवार है. आज "बकरी ईद" है. मीठी ईद से लगभग 70 दिनों के बाद बकरीद मनाई जाती है. साल 2023 में भारत में बकरीद का त्योहार 28 जून 2023 को मनाया जाएगा. बकरीद का त्योहार कुर्बानी का संदेश देता है. इसका अर्थ होता है ख़ुदा के बताये गए रास्ते पर चलना. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवियित्रीयोको, और मुस्लिम बंधू-भगीनिको बकरी ईद की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है बकरी ईद महत्त्वपूर्ण लेख.

     मुस्लिम धर्म में बकरा ईद बेहद ही महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन मुस्लिम लोग विशेष प्रार्थना कर परिवार की सलामती की दुआ करते हैं. इस दिन भारत और अन्य मुस्लिम देशों में शासकीय अवकाश होता है. जिसके फलस्वरूप शैक्षणिक संस्थान और शासकीय दफ्तरों को बंद रखा जाता है. बकरा ईद को हम बलिदान पर्व, बकरीद, ईद उल जुहा या ईद उल बकाह के नाम से भी जानते हैं.

     ईद उल जुहा या ईद उल बकाह त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. मुस्लिम समाजन इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और ईदगाह या मस्जिद में जमा होकर जमात के साथ 2 रकात नमाज़ अदा करते है. चलिए अब जानते है की साल 2023 में बकरा ईद कब है.

     अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यदि देखा जाए तो यह पता चलता है कि, बकरा ईद की तारीख हर साल 10 से 12 दिन पीछे खिसकती है. मालूम हो कि, ईद को मनाने का दिन एक दिन पहले चाँद को देखकर पता चलता है, लेकिन बकरा ईद का दिन चाँद के हिसाब से 10 दिन पहले भी देखा जा सकता है.

     बकरा ईद, मीठी ईद के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाती है. साल 2023 की बकरा ईद भारत में 28 जून 2023 को मनाई जाएगी. मुस्लिम धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह त्यौहार 3 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है, जिस कारण यह 28 जून, से शुरू होकर 30 जून 2023 की शाम को समाप्त होगा.

     सोशल मीडिया पर लोग बकरा ईद को Eid-ul-azha, Eid Quarbani, Eid ul Zuha और Eid-ul-Adha आदि नामों से भी जानते हैं.

                 बकरा ईद क्यों मनाया जाती है –

     इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हज़रत इब्राहिम को अल्लाह का पैगम्बर माना जाता है. इब्राहिम अपनी पूरी उम्र नेकी के कार्यो में जुटे हुए थे और उनका सारा जीवन जनसेवा और समजसेवा में ही बीत गया, लेकिन करीब 90 वर्ष तक की उम्र में उनके कोई संतान नहीं हुई. जिसके बाद उन्होंने खुदा की इबादत की और इनके चाँद सा बीटा इस्माइल हुआ.

     इसके बाद इब्राहिम के सपने में खुदा ने आदेश दिया की अपनी सबसे प्यारी चीज़ को कुर्बान कर दो, तो उन्होंने अपने सबसे प्रिय जानवर को कुर्बान किया. इसके कुछ दिन बाद उन्हें फिर से सपना आया, की वो अपने बेटे की बलि दें. जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने का प्रण लिया था.

     फिर उन्होंने आँख पर पट्टी बांधकर बेटे की कुर्बानी दी, लेकिन कुर्बानी के बाद जब उन्होंने देखा तो पता चला की उनका पुत्र तो खेल रहा था और अल्लाह के करम से उनके स्थान पर उनके बकरी की कुर्बानी हो गई. जिसके बाद से आज तक इस दिन बकरे की कुर्बानी देनें की परंपरा चली आ रही है.

--by Ravi Raghuwanshi
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                           (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-न्यूझ मग.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.06.2023-गुरुवार.
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