मोहरम-निबंध-2

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2023, 05:53:59 PM

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Atul Kaviraje


                                        "मोहरम"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०७.२०२३-शनिवार है. आज "मोहरम" है. ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई बहनोको मै यह दिन समर्पित करता हू. आईए, पढते है मुहर्रम पर निबंध.

     यजीद के समर्थकों ने हजरत इमाम हुसैन के लोगों को अनेक प्रकार से तकलीफ पहुँचाई। उन लोगों ने नहर का पानी बंद कर दिया। बच्चे और स्त्रियाँ भूख और प्यास के मारे छटपटाने लगे। यह घटना मुहर्रम की तीसरी तारीख को हुई।सरहुल पर निबंध पाँचवीं तारीख को दुश्मनों ने अपना जुल्म और तेज कर दिया। दसवीं तारीख़ को छोटे-छोटे बच्चे, औरतें और हजरत इमाम हुसैन के दो भाँजे शहीद हुए। ये उनकी बहन जैनब के बच्चे थे। इस तरह यजीद के सेनाध्यक्ष शिम्र ने सबके साथ बेरहमी की। हजरत हुसैन भी शहीद हुए। शहीद होने के बाद दुश्मनों ने हजरत हुसैन के सर को नेजा पर रखा।

     यह घटना इस्लाम की तवारीख में सबसे बड़ी खूनी शहादत है। इसी के चालीसवें दिन 'चेहल्लुम' (चेहल्लुम का अर्थ है चालीसवाँ) मनाते हैं। यह पर्व मानो श्राद्ध या श्रद्धापर्व है। इसी शहादत की यादगारी में इस्लाम माननेवाले मुहर्रम की पहली तारीख से दसवीं तारीख तक दस दिनों का मातम मानते हैं।

                मुहर्रम क्यों मनाया जाता है | मुहर्रम पर्व क्यों मनाते है -

     मुहर्रम के दसवें दिन ताजिये के जुलुस निकाले जाते हैं, यह शोक पर्व हैं। मुहर्रम का खासकर शिया समुदाय के मुसलमानों में बड़ा महत्व हैं। इस दिन उनके पैगम्बर हुसैन अली की हत्या करी गई थी। इसलिए वे इस दिन को शोक पर्व के रूप में मनाते हैं।

                मुहर्रम कैसे मनाया जाता है | मुहर्रम पर्व कैसे मनाते है -

     मुहर्रम के दिन सिपर (ढाल), दुलदुल (घोड़ा) परचम (पताका) और ताजिए निकाले जाते हैं। ये सब इस भयानक युद्ध के स्मारक हैं। मुहर्रम की दसवीं तारीख को बहुत-से मुसलमान रोजा रखते हैं तथा अत्यंत पीड़ा से 'या हुसैन, या हुसैन' बोलते हैं। मुहर्रम की सातवीं से दसवीं तारीख तक दिन-रात निशान लेकर जुलूस निकाले जाते हैं, डंके बजाए जाते हैं तथा चौराहों एवं मोड़ों पर रुककर युद्धकौशल दिखाए जाते हैं।

              मुहर्रम का महत्व | मुहर्रम त्योहार के महत्व -

     प्रत्येक धर्म में पर्व और त्यौहार का अपना ही महत्व होता है और यही लोगों के दिलों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मुहर्रम का पाक महीना भी इस्लाम को मानने वालो को प्रेम, भाईचारे के साथ रहने, नेकी का पालन करने तथा आपसी बैर व लड़ाई झगड़े से मुक्त रहने की बात कहता हैं। शिया तथा सुन्नी दोनों समुदाय के लोग इस दिन को मिलकर मनाते हैं। शियाओं की मान्यता हैं कि हुसैन अली इस्लाम के सबसे चमत्कारी लोगों में से एक थे, इनका सम्बन्ध भी मुहम्मद साहब के खानदान से था। इस कारण शियाओ द्वारा अली को पैगम्बर माना जाता हैं।

     याजिद द्वारा इस्लामिक कानून को मानने से इनकार कर दिए जाने के बाद उन्होंने याजिद के खिलाफ विद्रोह शुरू किया जो कर्बला की लड़ाई में परिणित हुआ था। इसमें हुसैन मारे गये तथा परिवार के अन्य लोगों को दमिश्क में कैद कर लिया गया। वही सुन्नी मत को मानने वाले मुसलमानों के लिए भी मुहर्रम का महीना पाक माह हैं। इनकी मान्यता के अनुसार इस दिन मूसा ने फिरौन पर जीत हासिल की थी। मूसा इस्लाम का एक धार्मिक नेता हुआ करता था, जो समूचे अरब में इस्लाम के प्रचारक के रूप में जाना जाता था। उसने मुहर्रम माह के दसवें दिन ही मिस्र के फिरौन को हराकर इस्लामी शासन स्थापित किया था।

                उपसंहार -

     यह पर्व उस आदर्श की याद दिलाता है, जिसमें मनुष्य के लिए उसके जीवन से बढ़कर उसके आदर्श की महत्ता है। मनुष्य पर चाहे विपत्तियों का पहाड़ ही क्यों न टूट पड़े, किंतु धर्म और सत्य के मार्ग से उसे विचलित नहीं होना चाहिए। अन्याय के सक्रिय विरोध का प्रतीक है- मुहर्रम ! यही कारण है कि मुहर्रम इस्लाम के इतिहास में अविस्मरणीय पर्व बन गया है।

                          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-निबंध.नेट)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.07.2023-शनिवार.
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