दिन-विशेष-लेख-वनमहोत्सव दिन-B

Started by Atul Kaviraje, August 01, 2023, 04:50:45 PM

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Atul Kaviraje


                                   "दिन-विशेष-लेख"
                                   "वनमहोत्सव दिन"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज दिनांक-01.08.2023-मंगळवार आहे.  १ ऑगस्ट ते ७ ऑगस्ट-हा दिवस "वनमहोत्सव दिन" म्हणूनही ओळखला जातो. वाचूया, तर या दिवसाचे महत्त्व, आजच्या या "दिन-विशेष-लेख" या शीर्षकI-अंतर्गत.

     आए दिन प्राकृतिक आपदाएं अपनी जड़े जमा रही है। हाल ही में उतराखंड के केदारनाथ में आई बाढ़ हो जिसमें ना जाने कितने लोग बली चढ़ गए या फिर दिन पर दिन गर्मी की मार से तपते लोग हों इन सभी विपदाओं के पीछे पेड़ों की कटाई है। हम माने या ना माने लेकिन पेड़ों की कटाई से नुकसान हमें ही हो रहा है। वन नीति, 1988 के अनुसार भूमि के कुल क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग वन-आच्छादित होना चाहिए। तभी प्राकृतिक संतुलन रह सकेगा, किंतु सन 2001 के रिमोट सेंसिंग द्वारा एकत्रित किए गए आकड़ों के अनुसार देश का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है। इनमें वन भाग 6,75,538 वर्ग कि.मी. है, जिससे वन आवरण मात्र 20 में प्रतिशत ही होता है और ये आंकड़े भी पुराने हैं। अब तो इनकी संख्या और कम गई है।

               वृक्ष लगाने के फायदे--

     जुलाई के पूरे सप्ताह सभी स्कूल-कॉलेज ने सड़को के किनारे, घरों के बाहर पेड़-पौधे लगाने का कार्य शुरु किया है। पेड़ों की आवश्यकता हमें क्यों हैं इस बात का उदहारण देश के तटीय क्षेत्रों में लगाए गए घने पेड़ों से है जिसने 2004 में आए सुनामी के विनाशकारी प्रभाव को कम करने में मदद की। उन्होंने आगामी लहरों को अवशोषित कर लिया और बड़ी संख्या में मानव निवासों को संरक्षित किया। वन महोत्सव का उद्देश्य ही यही है कि हम सभी लोग कम से कम एक पेड़ या पौधा लगाए ताकि आने वाली पीड़ियों को भी हम शुद्ध हवा दे सकें। वन महोत्सव के दौरान हर नागरिक से यही उम्मीद की जाती है कि वो कम से कम एक पौधा तो अवश्य लगाएं। इसके अलावा, पेड़ों के संरक्षण से लाभ और वृक्षों को काटने के कारण होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं। बच्चों द्वारा भी कई ऐसे कार्यक्रम किए जाते है जिनमें वृक्षों के संरक्षण की बात कही गई हो। आज हम सभी को पेड़ों के प्रति जागरुक होने की आवश्यकता है। यह पेड़ हमसे कुछ लेते नहीं है बल्कि हमें एक नया जीवन देते हैं। पूरे देश में वन महोत्सव के जरिए विलुप्त हुए वनों को फिर से बनाए रखने के लिए वनीकरण अभियान शुरू किए गए हैं। मनुष्य के लालच ने आज वनों का एक बड़ा हिस्सा समाप्त कर दिया है। 'वन महोत्सव' का त्योहार पर्यावरण को बचाने के लिए एक सुंदर पहल है, जिसके लिए हमें बहुत कुछ करना चाहिए है। आमतौर पर, स्थानीय पेड़ लगाए जाते हैं क्योंकि वे आसानी से स्थानीय परिस्थितियों में अनुकूलित होते हैं, पर्यावरण प्रणालियों में एकीकृत होते हैं और ज्यादा समय तक जीवित रहने का दम रखते हैं। इसके अलावा, ऐसे पेड़ स्थानीय पक्षियों, कीड़ों और जानवरों को भी समर्थन देने में सहायक होते हैं। राज्य सरकारें और नागरिक निकाय स्कूलों, कॉलेजों और अकादमिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों के जरिए आज पेड़ों को एक बार फिर से बचाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम भी वृक्षों को बचाने और लगाने के लिए अपनी-अपनी भूमिका अदा करें।

                 'जब धरती पर रहेंगे वन, तभी मिलेगा हमें स्वच्छ जीवन'

                 (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-फेस्टिवल्स ऑफ इंडिया.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.08.2023-मंगळवार.
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