दिन-विशेष-लेख-अणूबॉम्ब निषेध दिन-B

Started by Atul Kaviraje, August 06, 2023, 04:50:18 PM

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Atul Kaviraje

                                   "दिन-विशेष-लेख"
                                 "अणूबॉम्ब निषेध दिन"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज दिनांक-06.08.2023-रविवार आहे.  ६ ऑगस्ट-हा दिवस "अणूबॉम्ब निषेध दिन" म्हणूनही ओळखला जातो. वाचूया, तर या दिवसाचे महत्त्व, आजच्या या "दिन-विशेष-लेख" या शीर्षकI-अंतर्गत.

              काली बारिश का क्या हुआ था प्रभाव ?--

     काली बारिश, अत्यधिक रेडियोधर्मी पदार्थ से युक्त थी, इस संबंध में हुए अध्ययनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बारिश के संपर्क में आने से कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो गईं थीं। वर्ष 1945 में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि ग्राउंड जीरो से तकरीबन 29 किलोमीटर के क्षेत्र में काली बारिश हुई। इस बारिश ने अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों को दूषित कर दिया।

     काली बारिश ने कई लोगों में विकिरण के तीव्र लक्षण (Acute Radiation Symptoms-ARS) उत्पन्न किए। कुछ लोग कैंसर से ग्रस्त हो गए तो कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। शहर की जमीन और पानी भी विकिरण से दूषित हो गया था।

           नागासाकी पर गिराया गया बम ज्यादा शक्तिशाली था--

     नागासाकी पर गिराया गया बम हिरोशिमा पर गिराए गए बम से अधिक शक्तिशाली था, लेकिन इससे कम लोगों की मौत हुई और शहर की भौगोलिक स्थिति के कारण इसका प्रभाव एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित रहा। इसका मतलब यह था कि हिरोशिमा की तुलना में नागासाकी में काली बारिश के लिए आवश्यक रेडियोएक्टिव सामग्री कम थी, यही कारण था कि यहां अपेक्षाकृत छोटे से क्षेत्र में ही बारिश सीमित थी।

            परमाणु हमले के लिए जापान को ही क्यों चुना गया ?--

     द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान जर्मनी का साथ दे रहा था। जर्मनी ने मई 1945 में ही समर्पण कर दिया था। जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन युद्ध के बाद की स्थिति पर विचार करने के लिए जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिले, इसका एक कारण यह था कि अभी तक प्रशांत क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हुआ था। जापान अभी भी मित्र देशों के सामने समर्पण करने के लिए तैयार नहीं था।

     पोट्सडम में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन को यह जानकारी मिली कि न्यू मेक्सिको में परमाणु बम का परीक्षण सफल रहा है। पोट्सडम में ही ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि यदि जापान तत्काल बिना किसी शर्त के समर्पण करने के लिये तैयार नहीं होता तो उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा।

     जापान के समर्पण नहीं करने के कारण एक अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु हमले की तारीख तय की गई। लेकिन तूफान के कारण इस दिन हमले को रोकना पड़ा, इसके पांच दिन बाद यह हमला किया गया।

           हिरोशिमा के बाद नागासाकी पर हमला क्यों किया गया ?--

     हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिए तैयार नहीं हुआ। इसलिए तीन दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया। पहले हमले के लिये क्योटो को चुना गया था, लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी शहर को चुना गया। फैट मैन नामक बम 22,000 टन टीएनटी की शक्ति के साथ नागासाकी पर गिराया गया।

     नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण करने का आदेश दे दिया। मित्र देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे। उसके बाद 14 अगस्त को एक रेडियो भाषण में सम्राट हीरोहीतो ने प्रतिद्वंद्वियों के पास 'अमानवीय' हथियार होने की दलील देकर बिना किसी शर्त के ही समर्पण करने की घोषणा कर दी।

--न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
--Published by: देव कश्यप
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                       (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-अमर उजाला.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.08.2023-रविवार.
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