स्वतंत्रता दिवस-कविता-34

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2023, 03:10:14 PM

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Atul Kaviraje

                                    "स्वतंत्रता दिवस"
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मित्रो,

     आज दिनांक १५.०८.२०२३-मंगलवार है. आज भारत का "स्वतंत्रता दिवस" है. सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। लाल किले पर फहराता तिरंगा; स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है। दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है कुछ कविताये, रचनाये.

कर तू उद्घोष भारत के नाम का
बढ़ा तू मान उस वीर बलिदान का
नहीं मिली ये स्वतंत्रता यूँ ही
था इसमें त्याग घर परिवार का
वहां खून चली लाठी ख्वाब था स्वर्णिम हिंदुस्तान का
तो कर तू उद्घोष भारत के नाम का

नींव घरी और करा तिलक रानी ने स्वाभिमान का
बलिदान दिया परन्तु शीश झुका दिया अंग्रेजी सरकार का
तो कर तू उद्घोष भारत के नाम का

भगत को सूली चढ़ाकर भी झुका शीश जुल्मी सरकार का
लाभ हुआ इस देश को तिलक की योजना का
गणपति का नाम लेकर बढ़ा कदम अंत करने पराधीनता का
आजादी की ललक थी मन में विश्वास था जनमानस का

तो आए फरिश्ते बापू बनकर रखा ख्याल जन मानस का
ऊंच नीच के भेद भुलाकर लहराया परचम अहिंसा के मार्ग का
फहराया तिरंगा किले के मुख्य द्वार पर बनाया संविधान देश का
तो कर तू उद्घोष भारत के नाम का

सरदार की एकता को सलाम है इस देश का
नमन है उस बलिदान को जिसने लिखा स्वर्णिम इतिहास हिंदुस्तान का
तो कर तू उद्घोष भारत के नाम का

--अक्षत चावड़ा
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-एस्से ऑन हिंदी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2023-मंगळवार.   
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