पारसी नव वर्ष-पतेती-निबंध-1

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2023, 11:34:35 AM

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Atul Kaviraje

                                 "पारसी नव वर्ष-पतेती"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१६.०८.२०२३-बुधवार है. आज "पारसी नव वर्ष-पतेती" है. हर साल पारसी न्यू ईयर 21 मार्च और 16 अगस्त को मनाया जाता है। पारसी समुदाय के लोगों के लिए नवरोज का पर्व आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। दुनियाभर में पारसी न्यू ईयर 16 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मराठी कविताके मेरे सभी पारसी भाई-बहनॊ को पतेतीकी बहोत सारी दिली शुभ-कामनाये. आइये पढते है पारसी नव वर्ष पर निबंध.

     पारसी नव वर्ष पारसी समुदाय के लोगों के लिए एक नए जीवन की तरह है। पारसी नव वर्ष को नौरोज भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है "नया दिन"। यह नव वर्ष हिजरी शमसी कलेंडर के हिसाब से फ़रवरदीन की पहली तारीख को आता है। जिस प्रकार हमारे लिए 1 जनवरी नए साल के रूप में खुशियों की सौगात लाता है उसी प्रकार से पारसी लोग भी अपने नव वर्ष के अवसर पर खुशी से झूम उठते हैं।

                प्रस्तावना--

     पारसी धर्म के विद्वानों ने ईरानी कलेंडर के अनुसार पहले महीने के पहले दिन को पारसी नव वर्ष के रूप में घोषित किया है। मूलतः यह नव वर्ष तो इरानियों के द्वारा मुख्य रूप से ईरान में ही शुरू की गई थी, लेकिन समय के साथ पारसी समुदाय का विश्व में बिखराव के कारण भारत जैसे अन्य देशों में भी पारसी समुदाय द्वारा पारसी नव वर्ष मनाया जाता है। अगर इस नव वर्ष के अतीत की बात करें तो मध्य एशिया, काला सागर बेसिन, पश्चिम एशिया तथा बाल्कन जैसे क्षेत्रों में लगभग 3,000 सालों से मनाया जाता रहा है।

               पारसी नव वर्ष क्या है?--

     जिस प्रकार से अलग अलग धर्मों में वर्ष के अलग अलग दिन पर नव वर्ष का प्रावधान किया गया है उसी प्रकार से पारसी धर्म के लोगों के हिसाब से भी वर्ष की शुरुआत के लिए एक दिन सुनिश्चित किया गया है। इसी दिन को पारसी लोग नव वर्ष के रूप में बड़े ही धूम धाम से मानते हैं। पारसी नव वर्ष की शुरुआत "इक्किनाक्स" से होती है जिसका तात्पर्य है "एक समान"। बहुत से खगोलशास्त्रियों के अनुसार यह वह समय होता है जब दिन और रात क़रीब-क़रीब बराबर होते हैं। इस समय सूर्य भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर से गुजरता है। अगर ईसवी कलेंडर के हिसाब से पारसी नव वर्ष का आकलन किया जाए तो ये प्रत्येक वर्ष 20 या 21 मार्च के लगभग मनाया जाता है।

              पारसी नव वर्ष कौन मनाता है?--

     पारसी नव वर्ष मनाने वाले लोग पारसी धर्म से संबंधित हैं। इस धर्म के संस्थापक संत ज़रथुष्ट्र थे। यह एक अत्यन्त प्राचीन धर्म है जिसका उदय इस्लाम से भी पहले हुआ था। 7 वीं सदी में अरब के मुस्लिम निवासियों ने ईरान को युद्ध में हरा दिया। जिसके बाद मुस्लिमों ने ज़रथुष्ट्र के अनुयायियों को प्रताड़ित करके जबरजस्ती धर्म परिवर्तन करवाया। जिन पारसियों को इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं था वे सभी जलमार्ग के हसारे नाव पर स्वर होकर भारत चले आए। पारसी नव वर्ष इन्हीं पारसी समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है।

            क्या पारसी नव वर्ष एक राष्ट्रिय या आधिकारिक अवकाश है?--

     वर्तमान समय में पारसी लोगों की जनसंख्या समस्त विश्व में महज़ 1 लाख से भी कम रह गई है। पारसी समुदाय की इतनी कम जनसंख्या होने के बावजूद भी लोगों में इस नव वर्ष को लेकर काफी उत्साह नजर आता है। अगर बात आकड़ों की करें तो अकेले भारत में पारसियों की जनसंख्या 65,000 है बाकी बची 35000 हजार की जनसंख्या ईरान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, किरगिस्तान, अरबैजान, अफगानिस्तान, इराक, जॉर्जिया और तुर्की जैसे देशों में बिखरी हुई है।

     इतनी दुविधाओं के बावजूद पारसी समुदाय का हर परिवार पारसी नव वर्ष को बड़े ही धूम धाम से मनाता है। देश की सरकारों द्वारा पारसी नव वर्ष को राष्ट्रीय या राजपत्रित अवकाश का दर्जा तो नहीं दिया गया है परंतु पारसी बाहुल्य क्षेत्रों में इसे आधिकारिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया है।

--शिव प्रसाद विश्वकर्मा
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीकीदुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.08.2023-बुधवार.
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