पारसी नव वर्ष-पतेती-निबंध-2

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2023, 11:36:00 AM

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Atul Kaviraje


                                "पारसी नव वर्ष-पतेती"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१६.०८.२०२३-बुधवार है. आज "पारसी नव वर्ष-पतेती" है. हर साल पारसी न्यू ईयर 21 मार्च और 16 अगस्त को मनाया जाता है। पारसी समुदाय के लोगों के लिए नवरोज का पर्व आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। दुनियाभर में पारसी न्यू ईयर 16 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मराठी कविताके मेरे सभी पारसी भाई-बहनॊ को पतेतीकी बहोत सारी दिली शुभ-कामनाये. आइये पढते है पारसी नव वर्ष पर निबंध.

              पारसी नव वर्ष क्यों और कैसे मनाते हैं?--

     पारसी ग्रंथों के मुताबिक नौरोज या पारसी नव वर्ष का उत्सव राजा जमशेद के शासन काल से जुड़ा हुआ है। पारसी ग्रंथों के अनुसार राजा जमशेद ने सम्पूर्ण मानवजाति को एक ठंड मौसम के कहर से बचाया था जिससे समस्त मानवजाति का विनाश होना तय था। ईरानी मिथकशास्त्रों में जमशेद के द्वारा ही नौरोज की शुरुआत करने का साक्ष्य मिलता है।

     इस शास्त्र के अनुसार राजा जमशेद ने एक रत्न जड़ित सिंहासन का निर्माण करवाया था। जिसे उन्होंने देवदूतों की मदद से स्वर्ग में स्थापित करवा कर उसपर सूर्य की तरह दीप्तिमान होकर बैठ गए थे। दुनियाँ के समस्त जीव जन्तु उन्हें कीमती वस्तुएं चढ़ाए और तभी से इस दिन को नौरोज कहा जाने लगा।

     इस दिन पारसी समुदाय के लोग घर के सबसे बड़े सदस्य के यहाँ उनसे मिलने जाते हैं उसके बाद वह बड़ा सदस्य बाकी सबके घर जाता है। इस दिन सभी लोग एक जगह एकत्र होकर तरह तरह के व्यंजनों का लुप्त उठाते हैं और पटाखों की आतिशबाजी का आनंद लेते हैं। मिलने जुलने का यह सिलसिला पूरे महीने या कम से कम महीने की तेरह तारीख तक जारी रहती है। समुदाय के जिस परिवार ने अगर बीते वर्ष में किसी अपने को खो दिया है तो सभी लोग मिलकर सबसे पहले उस सदस्य के घर जाते हैं और उनके काले कपड़े उतरवा के उन्हें नए कपड़े उपहार स्वरूप देते हैं।

               निष्कर्ष--

     नौरोज या पारसी नव वर्ष अपने आप में मुसीबतों में खुशियां ढूँढने का प्रतीक है। जिस प्रकार से प्राचीन समय में पारसी लोगों के साथ अत्याचार हुआ था वो मानवता के मुंह पर एक कालिक के समान है। लेकिन उसके बाद भी जिस प्रकार से पारसी समुदाय के लोग अपनी हर छोटे बड़े पल को खुशी खुशी बिताते आए हैं वो काबिल-ए-तारीफ है। हम सभी को पारसी समुदाय के लोगों से तकलीफों को भूलकर खुशियां मनाना सीखना चाहिए। पारसी नव वर्ष प्रकृति से जुड़े लोगों के लिए और भी अधिक प्रिय होता है। इस समय वातावरण एकदम संतुलित और स्वच्छ नज़र आता है।

           FAQs:  Frequently Asked Questions--

--प्रश्न 1 – पारसी नव वर्ष भारत में कब मनाया जाता है?
--उत्तर – ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 16 अगस्त को मनाया जाता है।

--प्रश्न 2 – पारसी नव वर्ष को और किन किन नामों से जाना जाता है?
--उत्तर – इस नव वर्ष को "नौरोज" और "पतेती" नाम से भी जाना जाता है।

--प्रश्न 3 – पारसी नव वर्ष किस धर्म से संबंधित है?
--उत्तर – पारसी नव वर्ष ईरान के मूल निवासी पारसी धर्म से संबंधित है।

--प्रश्न 4 – विश्व में पारसियों की जनसंख्या कितनी है?
--उत्तर – सम्पूर्ण विश्व में पारसी जनसंख्या 1 लाख से भी कम है।

--प्रश्न 5 – भारत में सबसे अधिक पारसी कहाँ निवास करते हैं?
--उत्तर – भारत में सबसे अधिक पारसी मुंबई में निवास करते हैं।

--शिव प्रसाद विश्वकर्मा
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीकीदुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.08.2023-बुधवार.
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