नारली पूर्णिमा-लेख-1

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2023, 03:06:38 PM

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Atul Kaviraje


                                     "नारली पूर्णिमा"
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मित्रो,

     आज दिनांक-३०.०८.२०२३-बुधवार है. आज "नारली पूर्णिमा" है. भारत में विभिन्न धर्मों के विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं। यहां प्रत्येक समुदाय को प्रदर्शित करता कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। नारली पूर्णिमा या नारियल का त्यौहार का हिंदू त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन महाराष्ट्र में मछली पकड़ने वाले मछुवारों के द्वारा मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर में 'श्रावण' के महीने में 'पूर्णिमा' (पूर्णिमा के दिन) पर मनाया जाता है और इसलिए इसे 'श्रवण पूर्णिमा' कहा जाता है। इस वर्ष नारली पूर्णिमा 30 अगस्त, 2023 को पड़ रही है। 'नारली' शब्द का अर्थ है 'नारियल' और 'पूर्णिमा' का अर्थ है 'पूर्णिमा का दिन। ' नारियल इस दिन एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको नारली पूर्णिमा त्योहार कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है, नारली पूर्णिमा पर एक महत्त्वपूर्ण लेख.

              नारली पूर्णिमा (नारियल दिवस) ):--

     नारली पूर्णिमा उत्सव जिसे नारियल दिवस के रूप में भी जाना जाता है, समुद्र देवता वरुण को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों के मछुआरा समुदाय द्वारा नारली पूर्णिमा या नारियल त्योहार का हिंदू त्योहार बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर में 'श्रावण' के महीने में 'पूर्णिमा' (पूर्णिमा के दिन) पर मनाया जाता है और इसलिए इसे 'श्रवण पूर्णिमा' कहा जाता है। इस वर्ष नारली पूर्णिमा 31 अगस्त, 2023 को पड़ रही है। 'नारली' शब्द का अर्थ है 'नारियल' और 'पूर्णिमा' का अर्थ है 'पूर्णिमा का दिन।' नारियल इस दिन एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। इस त्योहार के दौरान लोग समुद्र को नारियल चढ़ाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन के बाद हवा की ताकत और उसी की दिशा मछली पकड़ने के पक्ष में बदल जाती है।

              नारली पूर्णिमा का महत्व--

     नारली पूर्णिमा को महाराष्ट्र और आसपास के कोंकणी क्षेत्रों में बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। मछुआरा समुदाय के लोग समुद्र में नौकायन करते समय अवांछित घटनाओं को दूर करने के लिए इस त्योहार को मनाते हैं। त्योहार महाराष्ट्र में मानसून के मौसम के अंत और मछुआरों के बीच मछली पकड़ने और जल-व्यापार की शुरुआत का प्रतीक है। इस प्रकार, मछुआरे प्रार्थना करते हैं और पानी में एक सुगम यात्रा के लिए समुद्र-देवता वरुण की पूजा करते हैं। नृत्य और गायन इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है। नारली पूर्णिमा का पर्व आने वाले वर्ष का सूचक है जो सुख, आनंद और धन से भरा होगा।

              नारली पूर्णिमा अनुष्ठान--

उत्सव के कुछ दिन पहले, मछुआरे अपने पुराने मछली पकड़ने के जाल की मरम्मत करते हैं, अपनी पुरानी नावों को पेंट करते हैं या नई नावें खरीदी जाती हैं या मछली पकड़ने के जाल बनाए जाते हैं। फिर नावों को रंग-बिरंगी झालरों या फूलों की मालाओं से सजाया जाता है।

त्योहार के दिन भक्त समुद्र देवता वरुण की पूजा करते हैं और भगवान से मछली पकड़ने के समृद्ध मौसम के लिए उसकी सुरक्षा और आशीर्वाद मांगते हैं।

महाराष्ट्र राज्य में ब्राह्मण 'श्रावणी उपकर्म' करते हैं और इस दिन बिना किसी अनाज का सेवन किए व्रत रखते हैं। वे दिन भर केवल नारियल खाकर 'फलाहार' व्रत रखते हैं।

त्योहार के दिन, पारंपरिक भोजन जिसमें नारियल शामिल होता है, तैयार किया जाता है जैसे कि नराली भात या नारियल चावल।

समुद्र मछुआरों के लिए पवित्र है क्योंकि यह उनके जीवित रहने का एक साधन है। वे नावों की पूजा भी करते हैं।

पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद, मछुआरे अपनी अलंकृत नावों में समुद्र में तैरते हैं। एक छोटी यात्रा करने के बाद, वे किनारे पर लौट आते हैं और शेष दिन नाच-गाकर बिताते हैं।

नारली पूर्णिमा 2023 की महत्वपूर्ण तिथियां और समय--
नारली पूर्णिमा गुरुवार, अगस्त 31, 2023

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 30 अगस्त, 2023 को 10:58 पूर्वाह्न
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 31 अगस्त, 2023 को सुबह 07:05 बजे

--Ganesha speaks
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-गणेशI स्पिक्स.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.08.2023-बुधवार. 
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