नारली पूर्णिमा-लेख-6

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2023, 03:13:43 PM

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Atul Kaviraje


                                     "नारली पूर्णिमा"
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मित्रो,

     आज दिनांक-३०.०८.२०२३-बुधवार है. आज "नारली पूर्णिमा" है. भारत में विभिन्न धर्मों के विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं। यहां प्रत्येक समुदाय को प्रदर्शित करता कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। नारली पूर्णिमा या नारियल का त्यौहार का हिंदू त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन महाराष्ट्र में मछली पकड़ने वाले मछुवारों के द्वारा मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर में 'श्रावण' के महीने में 'पूर्णिमा' (पूर्णिमा के दिन) पर मनाया जाता है और इसलिए इसे 'श्रवण पूर्णिमा' कहा जाता है। इस वर्ष नारली पूर्णिमा 30 अगस्त, 2023 को पड़ रही है। 'नारली' शब्द का अर्थ है 'नारियल' और 'पूर्णिमा' का अर्थ है 'पूर्णिमा का दिन। ' नारियल इस दिन एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रखता है। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको नारली पूर्णिमा त्योहार कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है, नारली पूर्णिमा पर एक महत्त्वपूर्ण लेख.

              नIरली पूर्णिमा उत्सव--

     नIरली पूर्णिमा के त्यौहार से कुछ दिन पहले, मछुआरे अपने पुराने मछली पकड़ने के जाल की मरम्मत करते हैं, अपनी पुरानी नौकाओं को पेंट करते हैं। अपनी नौकाओं और जहाजों की देख रेख करते हैं कि कहीं से पानी आने की संभावना तो नहीं है। इस दन कई नौकाएं खरीदी जाती है। नौकाओं को विभिन्न तरह से सजाया जाता है। उन्हें रगींन फूलों की मालाओं और लड़ियों से सुसज्जित किया जाता है।

     इस त्यौहार के दिन, पारंपरिक भोजन जिसमें नारियल शामिल होता है, नराली भात जो नारियल और चावल से बनी होती है उसको बनाया जाता है। इस दिन अन्य व्यंजन जैसे नारलाची करंजिस जैसे मीठे नारियल भरने वाली रोटी आदि कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।

     समुद्र में नारियल को चढ़ाने से पहले मछुवारा समुदाय की महिलाएं एवं पुरुष अपने पारंपरिक वस्त्र धारण करते हैं। महिलाएं अपने पारंपरिक पोशाक पहनती हैं जो घुटनों तक साड़ी को बांधती है जो महाराष्ट्र का पारंपरिक ढंग होता है। और नाक में बड़ी नथ पहनती हैं। पुरष लूंगी और टोपी पहनते है। पुरुषों को चूड़ियों और बालियां पहनने के लिए भी जाना जाता है। वे पारंपरिक गाने जैसे सान आइला गो नारली पनवेचा गाते हैं ।।। जो इस अवसर पर सबसे लोकप्रिय है। इस दिन महिलाएं एवं पुरुष परंपरागत नृत्य भी करते हैं, जिसे कोली नृत्य कहा जाता है।

     इस उत्सव के बाद, नारियल को समुद्र में दूर फेंक दिया जाता है। वे समुद्र के भगवान वरुण की पूजा करते हैं, वह भगवान से समृद्ध में मछली पकड़ने के मौसम के दौरान अपनी सुरक्षा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। मछुवारे नावों की भी पूजा करते हैं। वो दीप जलाकर लहरों में उसे प्रवाहित करते हैं। नारियल के टुकड़े समुदाय के सदस्यों में 'प्रसाद' के रूप में वितरित किए जाते हैं।

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फेस्टिवल्स ऑफ इंडिया.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.08.2023-बुधवार. 
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