रक्षाबंधन-निबंध-9

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2023, 07:14:44 PM

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Atul Kaviraje


                                       "रक्षाबंधन"
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मित्रो,

     आज दिनांक-३०.०८.२०२३-बुधवार  है. आज "रक्षाबंधन" है. रक्षाबंधन शुभ त्योहार के अवसर पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई इस दिन बहनों को तोहफा देने के अलावा यह वचन भी देते हैं कि वे जीवनभर एक-दूसरे के सुख-दुख में उनका साथ देंगे। बहनें इस दिन अपने भाइयों के लिए उपवास भी रखती हैं। मराठी कविता के मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको रक्षाबंधन त्योहार की बहोत सारी शुभकामनाये. आईये पढते है रक्षाबंधन एक महत्त्वपूर्ण निबंध.

               रक्षा बंधन का पौराणिक प्रसंग--

     रक्षा बंधन का पौराणिक प्रसंग वेद पुराणों में सुनाया जाता है जो एक प्रसिद्ध कथा के रूप में जाना जाता है। इस कथा के अनुसार, एक समय पर्वतराज जनक के राज्य में भगवान विष्णु का अवतार भगवान परशुराम विराजमान थे।

     भगवान परशुराम अत्यंत बलशाली और धर्मात्मा थे, और उन्हें क्रोध के प्रतीक के रूप में जाना जाता था। एक दिन उन्होंने क्रोध के कारण अपने धनुष का विक्रम कर दिया, जिससे धरती ज़ोर से काँपी। इससे भयभीत हुई धरती माता ने भगवान विष्णु से सहायता माँगी।

     भगवान विष्णु ने धरती माता की प्रार्थना को सुनते हुए अपने एक अवतार, भगवान वामन के रूप में प्रकट होकर भगवान परशुराम के सामने आए। वामन रूप में भगवान विष्णु को देखकर परशुराम भयभीत हुए और अपने धनुष के प्रकट न करने पर ध्यान केंद्रित कर दिया। भगवान वामन ने फिर वामन अवतार छोड़कर विष्णु रूप धारण किया और परशुराम को विशेष सम्मान दिया।

     इस घटना के बाद भगवान परशुराम ने वचन दिया कि वे किसी भी समय धरती को विनाश करने के लिए अपने धनुष का विक्रम नहीं करेंगे, और वे उसकी सुरक्षा के लिए पहले से ही तैयार रहेंगे। इससे यह प्रचलित हुआ कि भाई-बहन के बीच रक्षा बंधन का उत्सव मनाना उस प्रतीकात्मक पल को स्मरण करता है, जब भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के धनुष के प्रति दया दिखाई थी।

     यही रक्षा बंधन का पौराणिक प्रसंग है, जो भारतीय संस्कृति में इस त्योहार के महत्व को और भी गहराता देता है।

              रक्षा बंधन का ऐतिहासिक प्रसंग--

     रक्षा बंधन का ऐतिहासिक प्रसंग महाभारत काल में भी मिलता है। महाभारत में इस त्योहार के एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध प्रसंग के अनुसार, भगवान कृष्णा और द्रौपदी के बीच एक महत्वपूर्ण घटना घटी थी।

     महाभारत के किसी समय, द्रौपदी ने खुद वस्त्र बांधकर अपने हाथों से राखी बनाई थी। उन्हें दूर्योधन ने कैद किया था और दुषासन ने उन्हें द्रोणाचार्य के सभा में लाकर उनके अपमान का प्रहार किया था। इस घिनौन घटना के दौरान, द्रौपदी ने भगवान कृष्णा को अनन्त राखी की रक्षा करने के लिए प्रार्थना की।

     भगवान कृष्णा ने द्रौपदी के प्रेम और भक्ति को प्रसन्नता से स्वीकार किया और उन्हें संकट से बचाने का वचन दिया। रक्षा बंधन के दिन, जब द्रौपदी द्रोणाचार्य के सभा में शर्मिंदा होती हैं, भगवान कृष्णा उन्हें राखी की रक्षा करते हैं और उन्हें अनन्त वस्त्र से ढंक देते हैं। इससे द्रौपदी की इज्जत बच जाती है और उन्हें दुषासन के हाथों से मुक्ति मिलती है।

     इस प्रसंग से प्रकट होता है कि रक्षा बंधन एक समय में धर्मिक और सामाजिक संस्कृति में महत्वपूर्ण रूप से मान्यता था और यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और सम्मान का प्रतीक है।

--शिवI
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                           (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अपबोर्ड.लिव्ह)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.08.2023-बुधवार. 
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