रक्षाबंधन-कविता-6

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2023, 07:35:48 PM

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Atul Kaviraje


                                      "रक्षाबंधन"
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मित्रो,

     आज दिनांक-३०.०८.२०२३-बुधवार  है. आज "रक्षाबंधन" है. रक्षाबंधन शुभ त्योहार के अवसर पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई इस दिन बहनों को तोहफा देने के अलावा यह वचन भी देते हैं कि वे जीवनभर एक-दूसरे के सुख-दुख में उनका साथ देंगे। बहनें इस दिन अपने भाइयों के लिए उपवास भी रखती हैं। मराठी कविता के मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको रक्षाबंधन त्योहार की बहोत सारी शुभकामनाये. आईये पढते है रक्षाबंधन
पर कविता.

                              रक्षाबंधन पर कविता--
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वह मरा कश्मीर के हिम-शिखर पर जाकर सिपाही,
बिस्तरे की लाश तेरा और उसका साम्य क्या?
पीढ़ियों पर पीढ़ियाँ उठ आज उसका गान करतीं,
घाटियों पगडंडियों से निज नई पहचान करतीं,
खाइयाँ हैं, खंदकें हैं, जोर है, बल है भुजा में,
पाँव हैं मेरे, नई राहें बनाते जा रहे हैं।
यह पताका है,
उलझती है, सुलझती जा रही है,
जिन्दगी है यह,
कि अपना मार्ग आप बना रही है।
मौत लेकर मुट्ठियों में, राक्षसों पर टूटता हूँ,
मैं, स्वयं मैं, आज यमुना की सलोनी बाँसुरी हूँ,
पीढ़ियाँ मेरी भुजाओं कर रहीं विश्राम साथी,
कृषक मेरे भुज-बलों पर कर रहे हैं काम साथी,
कारखाने चल रहे हैं रक्षिणी मेरी भुजा है,
कला-संस्कृति-रक्षिता, लड़ती हुई मेरी भुजा है।
उठो बहिना,
आज राखी बाँध दो श्रृंगार कर दो,
उठो तलवारों,
कि राखी बँध गई झंकार कर दो।

– माखनलाल चतुर्वेदी
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-द सिम्पल हेल्प.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.08.2023-बुधवार. 
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