श्रीकृष्ण जन्माष्टमी-निबंध-13

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2023, 07:56:23 PM

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Atul Kaviraje


                                    "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-०६.०९.२०२३-बुधवार है. आज "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी" है. हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जानें इस साल सितंबर में कब है जन्माष्टमी- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको श्रीकृष्ण जन्माष्टमीकी बहोत सारी दिली शुभकामनाये. आईये, पढते है श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर निबंध.

             कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध || Essay On Janmashtami 2023--

          जन्माष्टमी पर क्या-क्या प्रसाद मिलता है--

     जन्माष्टमी में विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं जो भगवान श्रीकृष्ण के आवतार और उनके प्रिय भोजनों का प्रतीक होते हैं। कुछ प्रसिद्ध प्रसाद निम्नलिखित होते हैं:--

1.माखन-मिश्ठाई: भगवान श्रीकृष्ण को माखन (बटर) और मिठाई बहुत पसंद थी। इसलिए जन्माष्टमी पर माखन, मिष्ठाई और मिठासे भरे प्रसाद बनाए जाते हैं, जैसे कि माखन सिंघाड़े, माखन मिश्री, पेड़ा, बर्फी आदि।

2.पंजिरी: यह एक प्रकार की खास प्रसाद होती है जिसमें गुड़ और मिश्री के साथ खजूर, मूंगफली, ग्राम फ्लोर आदि का मिश्रण होता है।

3.अत्ता लड्डू: जन्माष्टमी पर अत्ता और गुड़ से बने लड्डू भी बनाए जाते हैं, जो भगवान के प्रिय भोजनों में से एक होते हैं।

4.क्षीर (मिल्क) बेसन: कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी पर क्षीर बेसन या मिल्क पूड़िङ्ग भी प्रसाद के रूप में बनाया जाता है।

5.फल: फल भी जन्माष्टमी पर प्रसाद के रूप में बनाया जाता है, जैसे कि केले, अनार, अमरूद आदि।

     ये कुछ उदाहरण हैं, लेकिन वास्तविकता में जन्माष्टमी पर विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं जो आपके आध्यात्मिक उत्सव में रस और रूचि देते हैं।

              जन्माष्टमी स्मार्ट का मतलब क्या होता है--

     "जन्माष्टमी स्मार्ट" शब्द का उपयोग आमतौर पर जन्माष्टमी त्योहार की खास रूपरेखा को व्यक्त करने के लिए किया जाता है, जिसमें अद्भुत, आकर्षक और आधुनिक तरीके से त्योहार का आयोजन किया जाता है। इसका मतलब होता है कि लोग नए-नए और विशेष तरीकों से जन्माष्टमी का आयोजन करते हैं जो आकर्षक और मनोरंजक होते हैं।

     इसके तहत, लोग मोबाइल ऐप्स या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके भगवान के भजन, कथा, लीला, आदि का आयोजन करते हैं, जिन्हें देखने और सुनने का मौका लोगों को मिलता है। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रसाद वितरण, रासलीला प्रदर्शन आदि का भी आयोजन किया जाता है जो त्योहार को और भी विशेष बनाता है।

     इस प्रकार के "स्मार्ट" त्योहार का मुख्य उद्देश्य आधुनिकता और रोचकता को त्योहार के परंपरागत माध्यमों में मिलाना होता है, जिससे लोगों का रुचिकरण बढ़ता है और वे त्योहार को उत्साह से मनाने के प्रेरित होते हैं।

              श्री कृष्ण के परम भक्त कौन थे?--

     जिसमें भागवत भूषण स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज, स्वामी रामानंद गिरी जी महाराज द्वारा अपनी मधुर वाणी से वर्णन करते 7वें दिन बताया कि श्री सुदामा जी भगवन श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे.

     भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त बहुत सारे थे, लेकिन कुछ प्रमुख परम भक्तों के नाम निम्नलिखित हैं:--

1.मीरा बाई: मीरा बाई, राजपुताना क्षेत्र की रानी, भगवान श्रीकृष्ण की आदिरात्रि और उनकी उच्च प्रेमिका थी। उन्होंने भगवान के प्रति अपने अत्यंत प्रेम का अभिव्यक्त किया और उनके लीलाओं के गानों की रचना की।

2.सुदामा: सुदामा एक ब्राह्मण थे और भगवान श्रीकृष्ण के दीवाने भक्त थे। उन्होंने अपने मित्रता के भाव से भगवान के पास एक मोती की खीर का भेंट दी थी, जिसके बदले में भगवान ने उन्हें अत्यधिक धन और सुख प्रदान किया।

3.यशोदा: भगवान श्रीकृष्ण की माता यशोदा उनके परम भक्तों में से एक थी। उनका प्रेम और आदर अपने पुत्र श्रीकृष्ण के प्रति अत्यधिक था।

4.अर्जुन: अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के मित्र और भक्त थे, जिन्होंने उनसे भगवद गीता के माध्यम से अद्वितीय उपदेश प्राप्त किया था।

5.रुक्मिणी: रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी और परम भक्त थी। उन्होंने भगवान के प्रति अपने अत्यंत प्रेम का प्रमाण दिया और उनके साथ आत्मर्पण की उदाहरणीय प्रेमकथा है।

     ये केवल कुछ उदाहरण हैं, भगवान श्रीकृष्ण के अनेक परम भक्त थे जिन्होंने उनके प्रति अपने आदर और प्रेम का प्रकटीकरण किया।

            कृष्ण जी का असली नाम क्या है?--

     भगवान श्रीकृष्ण का असली नाम 'कृष्ण' है। वे हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु के आवतार माने जाते हैं और उनका यह नाम उनके अद्वितीय व्यक्तिगतता, लीलाओं और धार्मिक संदेश के लिए प्रसिद्ध है।

--Shiva
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                          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अपबोर्ड.लाईव्ह)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2023-बुधवार. 
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