दिन-विशेष-लेख-वायूसेना दिन (पाकिस्तान)-C

Started by Atul Kaviraje, September 07, 2023, 03:09:56 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                   "दिन-विशेष-लेख"
                             "वायूसेना दिन (पाकिस्तान)"
                            --------------------------

मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज दिनांक-07.09.2023-गुरुवार आहे.  0७ सप्टेंबर-हा दिवस "वायूसेना दिन (पाकिस्तान)" म्हणूनही ओळखला जातो. वाचूया, तर या दिवसाचे महत्त्व, आजच्या या "दिन-विशेष-लेख" या शीर्षकI-अंतर्गत.

     बीबीसी से बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब (सेवानिवृत्त) का कहना है कि सेना की ओर से अब अमेरिका को कोई हवाई अड्डा नहीं दिया जाएगा.

     उनके मुताबिक़, फ़िलहाल नसीराबाद में ऐसी कोई सुविधा नहीं है और यह एयर बेस सी-पैक की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. उनके अनुसार अगर सी-पैक के ख़िलाफ़ कोई साज़िश होती है तो फिर इस एयर बेस से किसी भी तरह की नकारात्मक गतिविधि को ख़त्म करना संभव हो सकेगा.

     अमजद शोएब के अनुसार, एयर बेस ज़्यादा बड़ा नहीं होगा, क्योंकि इसका मक़सद दक्षिणी हिस्से में शांति बनाए रखना होगा.

     उनके अनुसार, अगर ज़रूरत पड़ी, तो अमेरिका को चमन तक की सड़क तक पहुँच की अनुमति दी जा सकती है और वह पहले से ही इस सड़क का उपयोग कर रहा है.

     अमजद शोएब के अनुसार, अगर अमेरिकी सैनिकों को सप्लाई की ज़रूरत होगी, तो वे कराची एयरपोर्ट से ले जा सकेंगे. हालांकि, उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद यह ज़रूरत बहुत कम हो गई है.

     नसीराबाद एयर बेस के बारे में बात करते हुए जनरल अमजद शोएब ने कहा कि इस समय किसी भी आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए हमारा रिस्पॉन्स टाइम बहुत ज़्यादा है. "हमें अभी क्वेटा से प्रतिक्रिया देनी पड़ती है. जैकोबाबाद वाला एयर बेस भी इतना क़रीब नहीं पड़ता है."

     उनके अनुसार, जैकोबाबाद एयरबेस, हालांकि थोड़ी दूरी पर है, लेकिन भारतीय सीमा के संदर्भ में इसका अपना एक विशेष महत्व है.

     अंग्रेज़ी अख़बार एक्सप्रेस ट्रिब्यून से जुड़े रक्षा मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार कामरान यूसुफ़ ने बीबीसी को बताया कि अमेरिका अभी किसी न किसी रूप में इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखेगा, और यही इच्छा पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों की भी है.

     कामरान युसूफ़ के मुताबिक़ सैन्य नेतृत्व का मानना है कि जब इस क्षेत्र में अमेरिका की मौजूदगी होगी तो पाकिस्तान को भी एक बढ़त हासिल रहेगी, क्योंकि अमेरिका को पाकिस्तान की ज़रूरत महसूस होती रहेगी.

     उनके अनुसार, ऐतिहासिक रूप से भी पाकिस्तान अमेरिका की सहायता करता रहा है. हालांकि, उनके अनुसार जनता के विरोध से बचने के लिए ऐसे समझौतों के बारे में फ़ौरन कुछ नहीं बताया जाता है.

     उनके मुताबिक ख़ुफ़िया रूप से इस बात की संभावना है कि दोनों देश ऐसे समझौते करें जिसमें इस तरह की मदद जारी रखी जा सके.

     उनके मुताबिक़, 9/11 के बाद परवेज़ मुशर्रफ़ ने कोर कमांडरों की बैठक में तटस्थ रहने को कहा था, लेकिन बाद में पता चला कि शम्सी एयर बेस पहले से ही अमेरिका के हवाले कर दिया गया था.

     याद रहे, कि परवेज़ मुशर्रफ़ के साथ कोर कमांडर रहे शाहिद अज़ीज़ ने अपनी किताब 'यह ख़ामोशी कहां तक' में ख़ुलासा किया था कि परवेज़ मुशर्रफ ने सेना प्रमुख के रूप में कोर कमांडरों की बैठक में कहा था कि पाकिस्तान अमेरिका के मामले में तटस्थ रहेगा. लेकिन यह बात कमांडरों को भी बाद में पता चली कि शम्सी एयर बेस पहले ही अमेरिका के हवाले कर दिया गया था.

     कामरान युसूफ़ के अनुसार, जब पूर्व में अय्यूब ख़ान ने सोवियत संघ के ख़िलाफ़ अमेरिका को पेशावर हवाई अड्डे की पेशकश की थी, तो उस समय स्थिति कुछ अलग थी. लेकिन अब पाकिस्तान इस तरह के सहयोग से पहले चीन की अनदेखी नहीं कर सकता और निश्चित रूप से पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस संबंध में चीन को भी विश्वास में ज़रूर लिया होगा.

--मोहम्मद काज़िम, आज़म ख़ान
--बीबीसी उर्दू डॉट कॉम
-----------------------------

                            (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-bbc.कॉम)
                           ------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-07.09.2023-गुरुवार.
=========================================