पिठोरी अमावस्या-जानकारी-3

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2023, 11:23:27 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                   "पिठोरी अमावस्या"
                                  ------------------

मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०९.२०२३-गुरुवार है. आज "पिठोरी अमावस्या" है. भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023 को है, इसे पिठोरी या पिथौरी अमावस्या (Pithori Amavasya 2023) भी कहते हैं. इस दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है, मान्यता है इससे संतान को आरोग्य का वरदान मिलता है. ये व्रत सुहिगन करती हैं. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको पिठोरी अमावस्याकी बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये पढते है इस त्योहार की महत्त्वपूर्ण जानकारी.

        पिठोरी अमावस्या पूजा विधि (Pithori Amavasya Puja Vidhi)--

यह व्रत शादीशुदा औरतें, विशेषकर जिनके बच्चे होते है, वे माँ ये व्रत रखती है.

व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर, पवित्र नदी में स्नान किया जाता है, फिर सूर्य को जल को चढ़ाया जाता है, रोज की पूजा की जाती है.

अमावस्या को पितरों का दिन कहा जाता है, इसलिए इस दिन पिंड दान एवं तर्पण करें. श्राद्ध महालय पक्ष महत्व,पितृ मोक्ष अमावस्या के बारे में जानने के लिए पढ़े.

गरीबों एवं जरूरतमंदों को अन्य दान, छाता, शाल, चप्पल का दान करें.

हो सके तो पूरी, सब्जी एवं हलुआ को बनाकर गरीबों, मुख्य रूप से बच्चों को खिलाये.

इस दिन वे 64 देवीओं की पूजा आराधना करते है. उनसे अपने बच्चों एवं परिवार की खुशहाली के लिए प्राथना करते है, लम्बी आयु की प्राथना की जाती है. वैसे हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हिन्दुओ के 35 करोड़ देवी देवता है.

पीठ मतलब आटा होता है, जिसे खाकर मनुष्य को जीवन मिलता है, वो अपना पेट भरता है. इस आटे का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व होता है.

इसी आटे से 64 देवीओं की प्रतिमा बनाई जाती है. और फिर उसकी पूजा की जाती है. इन्हें अपनी इच्छा अनुसार छोटा बड़ा बना सकते है. इन्हें चाहें तो कलर कर भी कर सकते है, एवं वस्त्र पहनाएं.

कुछ क्षेत्रों में देवी दुर्गा को योगिनी के रूप में पूजा की जाती है. इसलिए हर एक पीठ एक योगिनी को दर्शाता है. इस तरह 64 योगिनी है, जिनकी पूजा की जाती है.

इन सभी 64 देवी की प्रतिमाओं को एक साथ एक जगह, किसी चौकी या पटे पर रखा जाता है.

जेवर पहनाने के लिए, बेसन को गूथकर, आटा तैयार करें. अब इससे गले का, मांग टिका, चूड़ी, कान के बाले बनाकर देवी को पहनाएं.

फूलों से पूजा वाले स्थान को सजाएँ. देवियों की प्रतिमा के उपर फूलों का छत्र बनायें.

पूजा में प्रसाद के लिए पकवान बनाये जाते है. पूरम पोली, गुझिया, शक्कर पारे, गुड़ के पारे, मठरी, बनाई जाती है.

कई लोग अपने घर में अलग से पूजा नहीं करते है, मोहल्ले में एक जगह इक्कठा होकर पूजा करते है.

शाम को इसकी पूजा होती है, देवी की प्रतिमा को सुहाग का समान चढ़ाया जाता है. साड़ी ब्लाउज चढ़ाया जाता है.

पूरी विधि-विधान से पूजा करने के बाद आरती करते है, और फिर पंडित जी को सबसे पहले प्रसाद के रूप से पकवान देते है. अपने से बड़ों को पकवान देकर पैर छुए जाते है.

पंडितों को खाना खिलाया जाता है.

--By Anubhuti
----------------

                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
                      ---------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2023-गुरुवार.
=========================================