पिठोरी अमावस्या-जानकारी-4

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2023, 11:24:40 AM

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Atul Kaviraje

                                    "पिठोरी अमावस्या"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०९.२०२३-गुरुवार है. आज "पिठोरी अमावस्या" है. भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023 को है, इसे पिठोरी या पिथौरी अमावस्या (Pithori Amavasya 2023) भी कहते हैं. इस दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है, मान्यता है इससे संतान को आरोग्य का वरदान मिलता है. ये व्रत सुहिगन करती हैं. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको पिठोरी अमावस्याकी बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये पढते है इस त्योहार की महत्त्वपूर्ण जानकारी.

              पिठोरी अमावस्या (Pithori Amavasya)--

     पिठोरी अमावस्या के दिन सप्तमातृका की भी पूजा की जाती है. सप्तमातृका 7 दिव्य माताओं से मिल कर बनी है, जो शिव और शक्ति के द्वारा उत्पन्न हुई थी. सात देविओं के नाम है –

1.   ब्राह्मणी
2.   वैष्णवी
3.   महेश्वरी
4.   कुमारी
5.   वाराही
6.   इन्द्राणी
7.   चामुंडी

     इन प्रत्येक देवियों के साथ कोई न कोई किंवदंति जुड़ी हुई है, जिसका उल्लेख कुरमा पुराण, वराह पुराण और महाभारत में भी किया गया है. महाभारत के बारे में हिंदी में यहाँ पढ़ें. भगवान् शिव के द्वारा एक महान शक्ति 'योगेश्वरी' को उत्पन्न किया गया था, जिसे सात देविओं के बाद आठवां स्थान मिला.  पिठोरी अमावस्या के दिन 64 योगनी एवं सप्तमातृका की पूजा की जाती है.

     पिठोरी अमावस्या के दिन व्रत रखने से बच्चे स्वस्थ, बुद्धिमान एवं बहादुर होते है. औरतें एक जगह इकट्ठी होकर, तरह तरह का प्रसाद बनाती है और फिर चढ़ाती है. पिठोरी अमावस्या के दिन काली रात होती है, लेकिन इस दिन आसमान में लाखों करोड़ों तारे छाए हुए रहते है. मानों ऐसा लगता है कि किसी ने गेहूं का आटा आसमान में उड़ा दिया है, और वो तारों कर रूप में दिखाई दे रहा है. एक यह भी कारण है कि इसे पिठोरी अमावस्या कहते है.

            पोलाला अमावस्या (Polala Amavasya Pooja)--

     पोलाला अमावस्या को मुख्यतः आंध्रप्रदेश, ओड़िसा, कर्नाटका एवं तमिलनाडु में मनाया जाता है. इस दिन  भगवान् पोलेराम्मा की पूजा की जाती है. वहां इसे सावन महीने की अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. पोलेराम्मा वहां स्थानीय भगवान् है, जिन्हें भगवान् शक्ति या दुर्गा का रूप माना जाता है. इस व्रत को आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटका के कुछ हिस्सों में रखा जाता है. उत्तरी भारत के लोग इसे श्रावण अमावस्या के रूप में मनाते है. पोलेराम्मा को बच्चों का रक्षक माना जाता है.

--By Anubhuti
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2023-गुरुवार.
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