बैल पोला-जानकारी-2

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2023, 05:49:24 PM

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Atul Kaviraje

                                        "बैल पोला"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०९.२०२३-गुरुवार है. आज "बैल पोला" है.  छत्तीसगढ़ में तीजा पोला त्यौहार सदियों से बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में तीजा पोला त्यौहार 2023 में 14 सितम्बर दिन गुरुवार को है. पोला त्यौहार के दिन मवेशियों को ज्यादा तरह से बैल को बहुत ही अच्छे से सजाते है उसके बाद बिधि अनुसार उस बैल को पूजन करते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको बैल पोला त्योहार की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है, इस त्योहार की महत्त्वपूर्ण जानकारी.

         पोला त्यौहार क्यों मनाया जाता है, महत्व (Pola Festival Mahatva in Hindi)--

     भारत, जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है.

             पोला त्यौहार मनाने का तरीका (Pola Festival Celebration)--

     पोला दो तरह से मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला. बड़ा पोला में बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, जबकि छोटा पोला में बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है और फिर कुछ पैसे या गिफ्ट उन्हें दिए जाते है.

       महाराष्ट्र में पोला पर्व मनाने का तरीका (Pola Festival in Maharashtra)--

पोला के पहले दिन किसान अपनी बैलों के गले, एवं मुहं से रस्सी निकाल देते है.

इसके बाद उन्हें हल्दी, बेसन का लेप लगाते है, तेल से उनकी मालिश की जाती है.

इसके बाद उन्हें गर्म पानी से अच्छे से नहलाया जाता है. अगर पास में नदी, तालाब होता है तो उन्हें वहां ले जाकर नहलाया जाता है.

इसके बाद उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है.

इसके बाद बैल को अच्छे सजाया जाता है, उनकी सींग को कलर किया जाता है.

उन्हें रंगबिरंगे कपड़े पहनाये जाते है, तरह तरह के जेवर, फूलों की माला उनको पहनाते है. शाल उढ़ाते है.

इन सब के साथ साथ घर परिवार के सभी लोग नाच, गाना करते रहते है.

इस दिन का मुख्य उद्देश्य ये है कि बैलों के सींग में बंधी पुरानी रस्सी को बदलकर, नए तरीके से बांधा जाता है.

गाँव के सभी लोग एक जगह इक्कठे होते है, और अपने अपने पशुओं को सजाकर लाते है. इस दिन सबको अपनी बैलों को दिखने का मौका मिलता है.

फिर इन सबकी पूजा करके, पुरे गाँव में ढोल नगाड़े के साथ इनका जुलुस निकाला जाता है.

इस दिन घर में विशेष तरह के पकवान बनते है, इस दिन पूरम पोली, गुझिया, वेजीटेबल करी एवं पांच तरह की सब्जी मिलाकर मिक्स सब्जी बनाई जाती है.

कई किसान इस दिन से अपनी अगली खेती की शुरुवात करते है.

कई जगह इस दिन मेले भी लगाये जाते है, यहाँ तरह तरह की प्रतियोगितायें आयोजित होती है, जैसे वॉलीबॉल, रेसलिंग, कबड्डी, खो-खो आदि.

By-Karnika 
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2023-गुरुवार.
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