बैल पोला-जानकारी-6

Started by Atul Kaviraje, September 14, 2023, 05:55:46 PM

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Atul Kaviraje


                                        "बैल पोला"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०९.२०२३-गुरुवार है. आज "बैल पोला" है.  छत्तीसगढ़ में तीजा पोला त्यौहार सदियों से बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में तीजा पोला त्यौहार 2023 में 14 सितम्बर दिन गुरुवार को है. पोला त्यौहार के दिन मवेशियों को ज्यादा तरह से बैल को बहुत ही अच्छे से सजाते है उसके बाद बिधि अनुसार उस बैल को पूजन करते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको बैल पोला त्योहार की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है, इस त्योहार की महत्त्वपूर्ण जानकारी.

     स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे पोला त्यौहार (Pola festival) एवं मनाने का कारण, महत्त्व, त्यौहार कैसे मनाया जाता है, एवं पूजा की विधि के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

     भारत उन देशों की सूची में सबसे ऊपर आता है, जहां पर मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला एक ऐसा त्यौहार है जिसमें कृषक गाय और बैलों की पूजा करते हैं. यह पोला का त्यौहार/Pola Festival विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटका एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग पशुओं की विशेष रूप से बैल की पूजा करते है और उन्हें अच्छे से सजाते है. पोला पर्व बैल पोला के नाम से भी जाना जाता है.

            कब है 2023 में पोला त्यौहार?--

     पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को मनाया जाता है. इस अमावस्या को पिठोरी अमावस्या/Pithori Amavas भी कहा जाता है. वर्ष 2023 गुरुवार, 14 सितंबर को यह पर्व पूरे धूम धाम से मनाया जायेगा. महाराष्ट्र/Maharashtra में इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. खास तौर पर इस पर्व को विदर्भ क्षेत्र में ज्यादा महत्व दी जाती है. विदर्भ में बैल पोला को मोठा पोला/Motha Pola कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तनहा पोला/Tanha Pola कहा जाता है.

            Pola festival को मनाने का कारण--

     जब धरती पर कृष्ण जी के अवतार के रूप में भगवान विष्णु धरती पर आए तो उनका जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ. इस बारे में जब कंस को पता चला तो उसने श्री कृष्ण को मारने के लिए कई योजनाएं बनाईं और अनेकों असुरों को भेजा. इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर. श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं से राक्षस पोलासुर का वध कर दिया. यही कारण है कि इस दिन को पोला कहा जाने लगा. चुकि श्री कृष्ण ने भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोलासुर का वध किया था इसलिए पोला पर्व मनाया जाता है.

     भारत एक कृषिप्रधान देश है और ज्यादातर किसान खेती करने के लिए बैलों का प्रयोग करते हैं. इसलिए सभी किसान पशुओं की पूजा आराधना करके उन्हें धन्यवाद कहते हैं.

     इस पर्व को दो तरह से मनाया जाता है. एक होता है बड़ा पोला और दूसरा होता है छोटा पोला. छोटा पोला में बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है. वहीं उन्हें कुछ पैसे या गिफ्ट दिए जाते है. और दूसरा बड़ा पोला है, जिसमें बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है.

             पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा?--

     दरअसल भगवान श्री कृष्ण से इस पर्व के नाम का तार जुड़ा हुआ बताया जाता है. मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण माता यशोदा और वासुदेव के घर रह रहे थे, तो उनके मामा कंस उन्हें मारने के लिए हमेशा नई-नई योजना बनाकर अलग-अलग तरह के राक्षसों को उनके पास भेजते रहते थे, लेकिन श्री कृष्ण के पास आकर वो राक्षस खुद मारा जाता था.

     ऐसे में एक बार कंस ने पोला सुर नाम के राक्षस को श्रीकृष्ण की हत्या करने के लिए भेजा, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने अन्य राक्षसों की तरह ही उसे भी मौत के घाट उतार दिया. कहा जाता है कि जिस दिन श्री कृष्ण ने पोला सुर नाम के राक्षस को मारा था वो दिन भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि थी.इसलिए इस दिन को पोला के नाम से जाना जाता है.

                            (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-tfiपोस्ट.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.09.2023-गुरुवार.
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